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________________ १५० ] जैन मुबोध पाठमाला-भाग १ विश्राम है। ४ अन्तिम समय मे सलेखना सथारा करके भक्त प्रत्याख्यान सहित समाधिमरण स्वीकार करे, यह श्रावक का चौथा विश्राम है। चार गति के कारण १. नरक गति के चार कारण १. महा प्रारम्भ : अपरिमाण खेती आदि से पृथ्वकायादि का महा प्रारम्भ करना। २. महा परिग्रह . महा तृप्णा, महा ममत्व और अपार धन रखना। ३. मांसाहार : मद्य, मास, अण्डे आदि अाहार करना। ४. पञ्चेन्द्रिय वध • शिकार करना, कसाई का काम करना, मछली, अण्डे आदि का व्यापार करना । २. तिर्यश्च गति के चार कारण १. माया : माया करना या माया की बुद्धि रखना। २. निकृति : गूढ माया करना अर्थात् भूठ सहित माया करना या माया का प्रयत्न करना। ३. अलीक वचन : कन्या, पशु, भूमि आदि के विषय मे झूठ बोलना।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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