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________________ १४ बागेसोनी जीनाधिकारी-बोर्ड मसतिये इस गायतको रिहते है. "पोनिमासंपते पर्याप्तालाप एवं योनिमत पसंपत में एक पर्याशाखापता। यहां योनिमत बर्ष इम्बमानुषी और माममानुपी दोनों है।" (विजन सिक्षण वि० भाग १० १५६) . इसनेसमें सोनी भी बालापाधिकार को द्रव्यही और भाष को दोनों का निरूपक स्वीकार करते है। बार यहा बाम हमने निकीक पालापाधिकार में यथा सम्भब व्यय भावर शेनों लिये जाता है। परन्तु मात्र वे पक्ष-मोई में इतने गहरे सन गये किमानापाधिकार को पल भाषा निलाक पता रहे हैं। भागे और पहिये सोनी जी पटसाण्डागम के "मणुस्सा सिवेश" इस १०८ सूत्र को लिख कर लिखते हैं "इस सूत्र में द्रव्यमनुष्य तीन वेद पाने कहे गये।" "सत्र नं. १०८ में मस्या पर द्रव्यमनुष्यका सुषको" (पृ.नं. १४८) इस लेख में सोनी जी को पटसारडागम के मुख सूत्रों में भी इम्योद के दर्शन हो परन्तु पाल के नेत्रों में करें समचे पटसएडागम में केवल भारदहो दीख रहा है पहले लेस में ने यह खुलासा जिस "मनुस्मा का अर्थ भाव मनुबनी है" (११४६)
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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