SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४५ महोदय तो यहां तक लिखते हैं कि "व्यखियां किनकी मुख्यता से गोम्मटसार के टीकाकारों ने 'म्यस्त्रीणां वा म्यमनुरोणां' ऐसा अर्थ लिख दिया है एतावता गोम्मटसार 1 प्रकरणक गाथा पञतमसाणं तिपत्थो माणुसीण परिमाणे। के होते हुये भी द्रव्य प्रकरण नहीं है. और इस वजह से नही धवला का प्रकरण द्रव्य प्रकरण है." मागे सोनी जी का मिलना कितना अधिक कार प्राश ९ का विरुद्ध है इसे 'द लोनिय___ "गोम्मटसार मृल में भी मनुष्यणी पर है, सूत्र में भी मनुपिणी पर है. सूत्र टीकाकार बासन स्वामी मनुष्यणी को मानुपिणी की लिखते हैं, यात्री या यमनुष्यणी नती निखते, किन्नु गाम्ममार के टीकाकार मनुनिणी को रुपनी द्रव्यमनुपिणी ऐसा जिखते हैं। यह न नो विरोध है और न ही इस एक सम्म छ धवला का प्रकरण ही द्रव्य प्रकरण है।" मोनी भी ने इन पंनियों को लिम्बसार मुल प्रभ्यों में और रीकाकारों में पसार विरोध दिखलाया. इतना ही नी मोने गोम्मटसा के टीकाकार को मूल मन्थ समिर टीका करने यानं ठहरा दिया है यह टीकाकार पर बहुत भहा, १६ माक्षेप है। सोनो की विद्वान हैं तो बहुत समझ कर मयारित वात बना चाहिये । सोनी भी यहां तक किते है कि "टीकाकार यस्थी इस एक शम के पोछपवला का प्रकरण दृष्य प्रकरण
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy