SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ में मोक्ष तत्व का वर्णन है। यहां पर यह प्रश्न करना व्यर्थ होगा कि तस्वार्थ सूत्र के छठ अध्याय में कोई संबर निर्जरा और मोक्ष तस का विधान बनाने का सही ? उत्तर में यही कहना होगा कि तस्वार्थ सूत्र में उक्त तीनों का स्वरूप अवश्य है। इसी प्रकार गाम्मटसार एक मृत पाय है उसमें द्रव्यही को मोक्ष का निषेध पाया जाता है। जायकांड पूण अन्य नही है वह उसका एक भाग है। दाना मिना पूर्ण अन्य होता है। भाग शामी जी एवं दूसरे विद्वान (भावपक्षी) कहते हैं कि यी पांच गुणम्यान होते हैं यह बात चरणानुयोग का विषय है इसनिय चरणानयोग मानों में उसे समझ लेना चाहिये पटावएडागम कर गानुयोग शाम है अतः उसमें द्रव्यखी के पांच गुणस्थ नाका वगन नहीं है। इन विद्वानों का ऐसा कहना केवल इसनिय है कि ६३ सूत्र में संयत शब्द जुड़ा हुभा रहना चाहिय क्योंकि उसके हट जाने से हाल के पांच गुणास्थान इसी सत्र से सिद्ध हो जाते हैं . मल अपापाय भूनान पुन का कथन और पटबहागम शाख अधूरा एवं भनेक सूत्रों में दोषाधायक ममझा जावे, परन्तु उनकी पास रह जानी चाहिये । हम पूछते हैं कि द्रव्यनी के पांच गुणस्थान परणानयोग शास्त्रों से कस जाने जा सकते हैं ? उन शासों में तो ना , नकि सायक भावभव, मुनियमहास, परमारियाग पतीनागििनरूपण व्रतों के भव प्रभंट मादि बाठों को वर्णन पाया जाता है, 'गृहमध्यनुगाराणा पारिवाति
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy