SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कारण है और द्रव्यषियों के इस सत्र में सम्यग्दर्शन के साथ देश संयम भी बताया गया है। जब उस द्रव्यमी को पर्याप्त अवस्था में सम्यग्दर्शन और देश संयम भी हो सकता है वा भागे के गुणस्थान भोर मोक्ष भो उसके हो सकती है? इस शो उत्तर में प्राचार्य कहते हैं कि यह शश भी ठीक नहीं है, क्योंकि द्रव्य स्त्री वस्त्र सहित रहती है इसलिये वह अप्रत्याख्यान (अप्सयत-देश संयत) गुणस्थान तक ही रहती है, ऐसी भारपा में उसके संयम (बटा गुणस्थान) वैदा नहीं हो सकता है। ___ यहां पर शंभकार ने द्रव्य बी पर काकर शंका उठाई है, और उत्तर देते समय प्राचार्य ने भी द्रव्यत्री मानकर हो उत्तर दिया है। क्योंकि वस्त्रसहित होने से द्रव्यत्री के संपम नहीं हो सकता है, वह प्रसंयम गुणस्थान तक ही रहती है यह व्यन न्य स्त्री के लिये ही हो सकता है। भावसी की अपेक्षा यदि १३चे सूत्र में होती तो उत्तर में भाचार्य 'वस्त्र सहित और अप्रत्याख्यान गुणस्थित' ऐसे पद कदापि नहीं दे सकते थे। भाव खी के तो वस्त्र का कोई सम्बन्ध नहीं है और इसके तो गुणस्थान तक होते हैं। और १४ गुणस्थान तथा मोक्ष तक इसी शाम में बताई गई है। इससे सर्वथा स्पष्ट हो जाता है कि शव को द्रव्य त्री का नाम लेकर ही की गई है, उचर भी भाचार्य ने द्रव्यबी का ग्रहण मानकर ही दिया है। यदि १३२ सूत्र में 'सनद' पहरोता वो उत्तर में मानायें
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy