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________________ ३६] श्री सिद्धचक्र विधान शेष जिन वर्णन करि थकि रहैं, नमूं सिद्ध महापद को लहैं ॥३१॥ ॐ ह्रीं अर्ह घोरगुणवरिक्रमाणरिद्धि नमः अर्घ्यं ॥३१॥ अतुल वीर्य धनी हन काम को, चलत मन न लखत सुर बाम को। .. बालबह्मचारी योगीश्वरा, नमूं सिद्ध भये वसुविधि हरा॥३२॥ ॐ ह्रीं अर्ह ब्रह्मचर्यरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥३२॥ सकल रोग मिटै संस्पर्शते, महायतीश्वर के आमर्शतें। औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, . भये सिद्ध नमत सुख पावना॥३३॥ ____ ॐ ह्रीं अहँ आमर्षरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥३३॥ मूत्र में अमृत अतिशय वसै, जा परसते सब व्याधि नसै। औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुख पावना ॥३४॥ ॐ ह्रीं अहँ आमोसियऔषधिरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥३४॥ तन पसीजत जलकन लगत ही, रोग व्याधि सर्व जन भगत ही। औषधी यह ऋद्धि प्रभावना, भये सिद्ध नमत सुध पावना ॥३५॥ ॐ ह्रीं अहँ जलोसियरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥३५॥
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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