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________________ ३४] श्री सिद्धचक्र विधान सब कुपक्षी दोष प्रगट करें, स्यादवाद महादुति को धरै ॥२२॥ ॐ ह्रीं अहं परामर्शरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥२२॥ . विषम जहर मिला भोजन करें, लेत ग्रासहिं तिस शक्ति हरैं। ते महामुनि जग सुखदाय जू, ... हम नमें तिन शिवपद पाय जू ॥२३॥ ॐ ह्रीं अर्ह आशीविषरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२३॥ जो महाविष अति परचण्ड हो, दृष्टि करि तिन कीने खण्ड हो। सो यतीश्वर कर्म विडारकैं, .. भये सिद्ध नमूं उर धारकै ॥२४॥ ॐ ह्रीं अहं दृष्टिविषरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२४॥ अनशनादिक नित प्रति साधना, __ मरणकाल तई न विराधना। उग्र तप करि वसुविधि नासतें, हम नमें शिवलोक प्रकाशतें ॥२५॥ ॐ ह्रीं अहँ उग्रतपरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२५॥ बढति नित प्रति सहज प्रभावना, - उग्र तप करि क्लेश न पावना। दीप्ति तप करि कर्म जरायकैं, भये सिद्ध वमं सिर नायकें ॥२६॥ ॐ ह्रीं अहँ दीप्ततपरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥२६॥ ।
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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