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________________ श्री सिद्धचक्र विधान [१५१ सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, - मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये॥ ॐ ह्रीं सूरिऋद्धिऋषिभ्यो नमः अयं ॥२२३॥ योग के रोक से कर्म का रोक हो, - गुप्त साधन किये साध्य शिवलोक हो। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, _ मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये॥ ॐ ह्रीं सूरिसुर्योगेभ्यो नमः अध्यं ॥२२४॥ ध्यान बल कर्म के नाश के हेतु है, - कर्म को नाश शिववास ही देत है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, . मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥ . ॐ ह्रीं सूरिध्यानेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२२५ ॥ पञ्चधाचार में आत्म अधिकार है, बाह्य आधार आधेय सुविकार है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥ ॐ ह्रीं सूरिधातृभ्यो नमः अध्यं ॥२२६ ॥ सूर सम आप पर तेज करतार है, सूरि ही मोक्षनिधि पात्र सुखकार है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, . मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥ ___ ॐ ह्रीं सूरिपात्रेभ्यो नमः अयं ॥२२७॥ करतार सूरि सिसूरि ही
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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