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________________ श्री सिद्धचक्र विधान [१२९ सुखज्ञान वीर्य दर्शन सुभाव, पायो सब कर प्रकृतीअभाव। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमअनन्तचतुष्टयशरणाय नमः अर्घ्यं ॥४८॥ अडिल्ल छन्द दर्श ज्ञान सुख बल निजगुण ये चार हैं, आतमीक परधान विशेष अपार हैं। इनहींसो हैं पूज्य सिद्ध परमेश्वरा, हम हूँ यह गुण पाय नमन यातें करा॥ . ॐ ह्रीं अरहद्दनन्तगुणचतुष्टय नमः अयं ॥८९॥ क्षयोपशम सम्बाधित ज्ञान कलाहरी, पूरण ज्ञायक स्वयं बुद्धि श्रीजिनवरी। इनहींसो हैं पूज्य सिद्ध परमेश्वरा, हम हूँ यह गुण पाय नमन यातें करा॥ __ . ॐ ह्रीं अरहनिजज्ञानस्वयंभुवे नमः अर्घ्यं ॥१०॥ जनमतही दश अतिशय शासनमें कही, स्वयंशक्ति भगवान आप तिनकी लही। इनहींसों हैं पूज्य सिद्ध परमेश्वरा, हम हूँ यह गुण पाय नमन या” करा॥ ॐ ह्रीं अरहद्दशातिशयस्वयंभुवे नमः अर्घ्यं ॥११॥ ये दश अतिशय घातिकर्म छय को करें, महा विभव को पाय मोक्ष नारी वरैं। इनहींसो हैं पूज्य सिद्ध परमेश्वरा, - हम हूँ यह गुण पाय नमन यातें करा॥ ॐ ह्रीं अरहदशघातिक्षयअतिशय नमः अर्घ्यं ॥९२॥
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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