SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८] श्री सिद्धचक्र विधान बिन परिश्रमतारणतरणहोय, लोकोत्तमअद्भुत शक्ति सोय। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्तआनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमवीर्यगुणशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८० ॥ अप्रसिद्धकुनयअल्पज्ञभास, ताको विनाश शिवमगप्रकाश। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमद्वादशांग नमः अर्घ्यं ॥८१॥ सबकुनयकुपक्षकुसाध्य नाश, सत्यारथसत कारण प्रकाश। हमशरणगही मन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमाभिनिबोधकाय नमः अर्घ्यं ॥८२॥ . मिथ्यारत प्रकृतिअवधिविनाश, लोकोत्तमअवधी को प्रकाश। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ___ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमावधिशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८३॥ मनपर्यय शिव मंगललहाय, लोकोत्तम श्रीगुरु सोकहाय। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंद पाय॥ ___ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तममनःपर्ययशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८४ ॥ आवरणतीत प्रत्यक्ष ज्ञान, है सेवनीक जग में प्रधान। हमशरणगही मन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमकेवलज्ञानशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८५॥ हो बाह्य विभवसुरकृत अनूप, अन्तर लोकोत्तम ज्ञानरूप। हमशरणगहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्त आनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमविभूतिप्रधानशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८६॥ रतनत्रय निमित मिलोअबाध, पायो निज आनंदधर्म साध। हमशरणागहीमन-वचन-काय, नित नमैं सन्तआनंदपाय॥ ॐ ह्रीं अरहल्लोकोत्तमविभूतिधर्मशरणाय नमः अर्घ्यं ॥८७ ॥
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy