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________________ शिलु भटक हाँ मंडल विपन्न) = ... ४० JAPAN कर्मावद्यविवर्जिता वसुगुणालंकरभृताः सदा, . सिद्धान्तान् जयमालया विमलया भक्त्या स्तवीमि श्रिये ॥१॥ महादृढमोहविधेः परमुक्त, स्वकीयगुणद्रविणद्युतिरक्त । चिदात्मरुचे निजजात विकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥२॥ चिदावरणक्षयनिश्चितवास, स्वनंतपदार्थविभेदसमास । चिदात्मचितो निजजीतनिकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥ ३॥ स्वकातमवर्जित दर्शनधार, स्वलेपितदर्शनलोपकभार । सुकेवलदर्शनतोय विकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥ ४ ॥ सुदृचिदनंतसुशक्तिकदेह, क्षयंकृतविघ्नकरबजगेह । चिदात्मसुवीयेंगुणेन विकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥५॥ क्षयंगतनाम चिरंघृतसूक्ष्म, समीपविनिर्मिततद्गुणलक्ष्म । चिदात्मकसूक्ष्मगुणेन विकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥६॥ अरूप्यवगाहनभावसुपूर, चतुर्विधपापविकर्दमदूर । ततस्त्वमनंतगुणेन विकाय, पुनातु सदा मम सिद्धनिकाय ॥ ७ ॥ .-.-.--... 1./11M AN/-----
SR No.010543
Book TitleSiddhachakra Mandal Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size15 MB
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