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________________ महावीर और बुद्ध। (ले० श्री० कामताप्रसाद जैन) अन्तिम तीर्थकर महावीर वर्द्धमानके समकालीन म० गौतम बुद्ध थे, जिन्होंने बौद्ध धर्मकी स्थापना की थी। जो लोग जैनधर्म और बौद्धधर्मको एक माननेकी भूलमें पडे हुये हैं, वह देखें कि दोनों पोंके सस्थापक जुदे जुदे थे। ऋषभदेवने जैनधर्मको स्थापना महावीर और बुद्धसे बहुत पहले की थी; जब कि गौतम बुद्धने बौद्धधर्मको पहले पहले उससमय चलाया जिससमय जैनमर्मके वेईस तीर्थकर हो चुके थे और चौवीसवें तीर्थकर महावीर उसका पुनर्सस्कार करके प्रचार कर रहे थे। प्रो० त्यूमानने महावीर और बुद्धको तुलना करते हुये लिखा था कि " महावीरका जन्म ई. स० पूर्व ५७० के आसपास हुआ । वह महान् विजेता रूपमें प्रसिद्ध हुये । बुद्ध ई० स० पूर्व ५५० के लगभग जन्मे और बुद्ध अर्थात् शानी कहलाये। ये दोनों महापुरुष अईन्त (पूज्य), भगवन्त (प्रमू), और जिन (विजेता) नामोसे ख्यात थे। किन्तु महावीरकी तीर्थकर सशा उसी प्रकार निराली है जैसे दुद्धकी तथागत ! दोनों महापुरुषों के क्रमशः यही नाम लोकप्रिय और प्रचलित थे। वीर्यङ्करका शब्दार्थ 'तारनहार' अथवा 'मुक्तिमार्गके प्रदर्शक' होता है। तीर्थंकरका भावार्य मार्गदर्शक समझना ठीक है। 'तथागत का शब्दार्थ होता है 'ऐसे गये जो' अर्थात् 'सच्चे मार्ग पर चढे जो।' तथागतका भावार्य 'आदर्शरूप' ठहरता है। महावीर ज्ञातृकुलमें और बुद्ध शाक्यकुलमें जन्मे थे। इसलिये महावीर 'शातुपुत्र' और बुद्ध 'शाक्यपुत्र 'मी कहलाये ये.! शाक्यपत्र अपेक्षा शाक्यमुनिमी वह कहलाये । धरके माई-बन्धुमि महावीर 'वर्द्धमान' और बुद्ध 'सिद्धार्थ' नामसे प्रख्यात् थे । बुद्ध नामकी अपेक्षासे उनके अनुयायी बौद्ध (Buddhist) कइलाये और महावीरकी जिन सशाके अनुरूप उनके अनुयायी जैन - (Jimist) नामसे प्रसिद्ध हुये। "१ इस प्रकार महावीर और बुद्ध दो प्रथक महापुरुष ठहरते हैं और दोनोंके धर्ममी स्वाधीन थे। जैनधर्म और वौद्धधर्म एक दूसरेकी शाखा नहीं थे और नहींही उनका उद्गम वैदिक धर्मसे हुआ था। अलबत्ता जैनधर्म वौद्धधर्मसे प्राचीन है, किन्तु बौद्धधर्मका साम्य जैनधर्मसे अधिक है। बौद्धधर्मके अनेक पारिभाषिक शब्द ( Technical Terms) और सिद्धान्त नितान्त जैनधर्मके अनुरूप है।३ १. युद्ध अने महावीर (पूना १९२५), पृष्ट १२-१३० .R." Jainism played an important part in the religious history of ancient India There can be no doubt that it (Jainism ) 18 older than Buddhism. Ac. cording to tradition the principles of Jainism existed in India from the earliest times." -Dr. B.C. Law, ,M. A, B L,PhD, P Litt. etc. ३. विशेषके लिए स्व. न. शीतलप्रसादलीकृत "जैन-बौद्धतस्वशान " (सूरत) नामक पुस्तक देखो।
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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