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________________ भ० महावीर स्मृति-पंथ। "We tale oxygen from air and exhale Carbondioxide, Carbon being the product of oxidetional digestion, which requires oxygen to escape out. It is pure material organism" ____पदार्थोंकी उसत्तिके विषयमें वैशेषिक, जैन, तथा यूनानी दार्शनिकही विज्ञानको आधुनिक उन्नतिके आधार हैं । डाल्टनका अणु-सिद्धान्त [ Atomic theory ] इन्हींका स्पष्ट-विवेचन है। " Electron is the universal canstituent of matter" यह विज्ञान का आज निर्णय है, जो स्वयही जैनियोंके परमाणुकी व्याख्या है । जैनोंका परमाणु “णेव' इदिये गेल्झ । अविमागी ज दव, त परमाणु वियाणीहि " विज्ञानका अविभाजित (?) electron है। आधुनिक विज्ञानके अनुसार पदार्थ स्कघों [ molecules ]से, स्कघ अणुओं (atoms )से, तथा अणु परमाणुओं (electrons )से बना है । जैनजगतमेंमी इसी प्रकार पदार्थको चार विभागों (कंघ, स्कघदेश, स्कंघप्रदेश, परमाणु )में विभाजित किया गया है। इस तरह परमाणुवादका सिद्धान्त पूर्णतया आधुनिक वैज्ञानिक तोपर स्थित है। सक्षेपमें हम यह कह सकते हैं कि आधुनिक विज्ञानके पदार्थ और शक्ति दोनों-पगल द्रव्यसे ग्रहीत होते हैं, इसलिये पुल द्रव्यकी सत्यता विज्ञान मानताही है । स-अमूर्त द्रव्य. (१) आत्मा"उपयोगो लक्षण " जान और दर्शन जीवका लक्षण है | आरमाही पुद्गलके माध्यम द्वारा सुख-दुखका अनुभव होता है ! यह द्रव्य है क्योंकि उत्पाद. व्यय तथा प्रौव्याव इसमें पाया जाता है । आरमा स्वयक परिमाणमें हानि एन वृद्धि (सकोच और विस्तार) करनेकी शक्ति रखता है | चींटी और हस्तिके शरीरमें एकही आत्मा निवास करती है । आत्माकी अनन्त शक्ति है । ये अनन्त हैं। याइ अमूर्तिक है। इसकी सत्ता इसके कार्योसेही सिद्ध हो सकी है, प्रत्यक्ष नहीं । [प्राणापान निमेपोन्मेप जीवन मनोगती कियान्तर विकाराः सुख दुखेच्छा द्वैप प्रयत्नाचारमनो लिंगम् -२०२०] जिस प्रकार धर्म अधर्म आकाश एवं कालादि अमूर्तिकके विषयमें विज्ञानवेत्ताओंने अन्वेषण किया है, उसी प्रकार आत्माके विपयर्मेभी। परन्तु वे Ether या Freld की तरह आत्माके विषयमें ग्य नहीं निकाल सके हैं। उन्होंने आत्माको जानने एवं पारनेके लिए कितनीही चेष्टाए की, परन्तु अभी तक सफल नहीं हुए हैं। पर इन स्रोतोंसे एक महत्वपूर्ण बैन-तत्त्व (वैजस शरीर) की पटि अवश्य हुई है। एक ऐसा यन्त्र बनाया गया जिससे कोईभी चीज बाहर न जा सके । उसमें उसन्न होते समय एव मरते समय प्राणियोंका अनुवीक्षन किया गया । आत्मा नामकी कोई वस्तु सो जात नहीं हुई, परतु यह पता पटा कि जब कोई जन्म लेता है, तब उसके साथ कुछ विद्युत्चक्र (Electric charge) रहता है, जो मृत्युके समय लुप्त हो जाता है। पर प्रश्न यह है, कि यह चा नाश तो हो नहीं सकता; [ Due to Conservation of Energs ] तो फिर कहा जाता
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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