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________________ कथन महोपाध्याय श्री विनयसागरजी महाराज ने 'महावीर पट् कल्याणक पूजा' की रचना कर जैन पूजा साहित्य में एक प्रशंसनीय अभिवृद्धि की है । गत चार सौ वर्षों से इस प्रकार की पूजाओं का बोलचाल की भाषा में प्रचार पढ़ा और सैकड़ों की संख्या में ऐसे साहित्य का निर्माण हुश्रा । इससे दो प्रकार के लाभ मिले । एक तो भवसमुद्र निस्तारिणी तीकर-भक्ति और दूसरे में एतद्विषयक गंभीर शास्त्रीय ज्ञान का देशी भाषाओं में सुगमता पूर्वक हृदयङ्गम करने की सरल साधन । यह पूजा तो प्रकारान्तर से भगवान महावीर का विशुद्ध प्रोजन चरित्र ही है; जो श्वेताम्बर जैनागमों द्वारा पूर्णतया समर्थित है। इसका पट् कल्याणक शब्द शायद कुछ प.धुओं को न जचता हो, पर है वह अवश्य ही सत्य फिर भले ही क्यों न यह आश्चर्य-भूत माना जाता हो । पोचाराम, स्थानाx, - समवाया, कल्पसत्र और पंचाशक आदि जैनागम पाँचों मंगलकारी कल्याणकों को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में मानते हैं। छह निर्माण केल्याणक स्वाति नक्षत्र में हुआ जिसे माने बिना कोई चारा नहीं । आत्मार्थियों को निष्पक्षता पूर्वक यह तथ्य मानने में आना कानी नहीं होनी चाहिए कि देवानंदा मानणी की कृषि में आना तो कल्याण
SR No.010529
Book TitleMahavira Shat Kalyanaka Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherVinaysagar
Publication Year1956
Total Pages33
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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