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________________ २७६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * जाते कंस आता जब उसे मर। हुआ जुगल समझ एक पत्थर की शिला पर पटक कर फिकवा देता चौथे गर्भ में कृष्ण आये तब कृष्ण आठवें महीने में ही उत्पन्न हुए कंश को मालूम भी नहीं भया । वसुदेव के रोहिणी रानी से उत्पन्न क्लदेव वलभद्र ६ नवमे पहिले से ही मथुरा में छिपे हुये रहते थे सो कृष्णका जन्म सुन उसी समय आकर उनको लेकर मथुरा से जेल दरवाजा से चले कसने जहां उग्रसेन पद्मावती माता पिता को जेल में रखे थे। जसे ही वलदेव कृष्ण को लेकर दरवाजे पर पहुंचे वैसे ही पीछे से छोंक हुई जब उग्रसेन ने चिरंजीव रहो आशीर्वाद दिया तब बलदेव बोले आप इस बात को गोप्य रखना यही तुम्हारा छुड़ाने वाला होगा तब उन्होंने स्वीकार किया जब ये लेकर चल तब एक देव पुण्य के उदय से गाय का रूप धर एक सींग पर मसाल बना कर उजाला कर मार्ग में रास्ता दिखाता गया भादवां वदी ८ को बड़ी घनिष्ठ बादलों की अन्धेरी थी अर्द्ध रात्रि थी जमुना पर पहुंचते ही देखा तो जमुना बड़ो गहरी चली जा रही थी वलदेव कुछ खड़े हुए पर जब वह गाय के रूप में जमुना में
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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