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________________ १२३ पंचकल्याणक राग टप्पाचाल मोहि राखो हो सरना, श्रीवर्द्धमान जिनरायजी । मोहि० गरभ साढ़ सित छट्ट लियो थिति, त्रिशला उर अघ - हरना ॥ सुर सुरपति तित सेव करो नित, ___ मैं पूजों भव - तरना । मोहि० ॐ ह्रीं आषाढशुक्लषष्ठयां गर्भमंगलमंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निव। जनम चत सित तेरस के दिन, ___ कुंडलपुर कन - वरना । सुरगिरि सुरगुरु पूज रचायो, मैं पूजों भव - हरना ॥ मोहि० ॐ ह्रीं चैत्र शुक्लत्रयोदश्यां जन्ममंगलप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्व पा०। मंगसिर असित मनोहर दशमी, ता दिन तप आचरना । नृप · कुमार घर पारन कीनो, मैं पूजों तुम चरना ।। मोहि० ॐ ह्रीं मार्गशीर्षकृष्णदशम्यां तपोमंगलमंडिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्व पा०।
SR No.010526
Book TitleJinendra Poojan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Jain
PublisherRaghuveersinh Jain Dharmarth Trust New Delhi
Publication Year1981
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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