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________________ अनाप विताएंगे। हमारा नम्र सुझाव है कि प्रतिवर्ष विद्यापीठ के स्थापना दिवस के अवसर पर इन प्रतिज्ञा सूत्रों को दोहराया जाए। आशा है, विद्यापीठ की स्वर्ण जयन्ती के स्वर्णिम अवसर पर इन भावनाओं, संस्कारों और विचारधारा को क्रियान्वित करने का संकल्प करने से विद्यापीठ सर्वांगीण उन्नति के स्वर्ण शिखर को छू सकेगा; इसी मंगलमय धर्म सन्देश के साथ। समारोह की सफलता की शुभ भावना व्यक्त करते हैं। प्रेषक-वसंतलाल पूनमचन्द भंडारी अहमदनगर युगदृष्टा जैनाचार्य : एक स्मृति - तोलाराम मिन्नी। गौर वर्ण किया गया कि जैसे साक्षात् विराजमा शान्ता लग गया। आस-पास एक . पूज्य श्रीमज्जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी म.सा. का जैन-समाज में विशिष्ट स्थान है। उनका लम्बा कद, पण मन को मोहने वाला था। वि.सं. २००० की आषाढ़ शुक्ला अष्टमी तदनुसार दिनांक १० जुलाई १६४३ मध्याह्न में आपका स्वर्गवास भीनासर में हआ था। हालांकि उस समय मेरी उम्र करीव ७ वर्ष की होगी फिर । मुझ अच्छी तरह से सारी बातें याद है। आपकी अन्तिम-यात्रा एक स्मृति बन गई है। __अन्तिम समय में आपका पार्थिव शरीर 'बांठिया-हाल' में पाटे पर खंभे के सहारे इस तरह विराजित । जस साक्षात् विराजमान हैं। यह खबर पूरे भारत में बिजली की तरह फैल गई। दर्शनार्थियों का ।। आस-पास एवं दूर-दूर से हजारों लोग खबर सुनते ही अपने धर्माचार्य का अन्तिम-दर्शन करने " हुए। दूसरे दिन सुबह से ही लोगों की भीड़ जमा होने लगी। चांदी की विशेष वैकुण्ठी (विमान) तैयार आन्तम-यात्रा गंगाशहर-भीनासर के प्रमुख मार्गों से होती हुई श्मशान पहुंची। राज्य की तरफ से । पर नगाड़ों की व्यवस्था थी। बैंड-बाजों और नगाड़ों के तुमुलघोष के बीच गुरुदेव का गगनभदा नारे। सारा वातावरण श्रद्धा और भक्ति से आप्लावित। श्रद्धातिरेक में चांदी के सिका का ॥सम भी गर्मी का था। मगर उस दिन तो प्रकति ने भी खूब साथ दिया। सुबह से ही मंद-गद दल भी श्रद्धाञ्जलि प्रकट कर रहे थे। अपने धर्माचार्य को खोकर आवाल-वृद्ध सभी के मन में । पूज्यश्री का जयघोष के बीच चन्दन. घी. कपर और खोपरों से अग्नि-संस्कार किया गया। एस राई गई थी। यह अन्तिम-यात्रा गंगाशहर-भीनार दंड-बाजे एवं ऊंटों पर नगाड़ों की व्यवर जयजयकार के गगनभेदी नारे। सारा साल की गयी। मौसम भी गमी का देदों के साथ वादल भी श्रद्धाजा भार-उदासी थी। पूज्यश्री काण भानुरुष को श्रद्धापूर्वक कोटिशः श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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