SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री विनोदा मात्र सन्दर-5 वी ने अपना चातुर्मास जलगांव में भिर इ- -- होना माने का आसे परियहरू निदम:.दिन तक चायंत्री के साथ रहे। :के बीच गंभीर तत्व-चर्चाएं होती है। श्री जनातात दमान काल में नुक्ष राष्ट्रवादी श्री जमनालाल बजाम : सम्पर्क हुआ। आपने भी कवर के वन-सनिक कलाम उठाया। - श्री मदनमोहन मालवी-सी वि.सं. १९८४ का अपना चातुर्मास पूर्ण कर E पयारे उसी समय महानना नदन इन नतीय श्री हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बन्ध में : पल्लवीयजी आचार्यश्री के प्रश्न में एक और जने भी आचार्यत्री के प्रभावी व्यक्तित्व सर मनुभाई मेहता को किसान के प्रधानमंत्री और वि.सं.१६ श्रीनासर-बीकानेर प्रवास का अपने मसर ताम लिया। आप आचार्यश्री के व्याख्यानों में दर -- और उनके अनन्य भक्त बन गये। काचा बालेतर अवश्री मा वि.सं. १६८ का चातुर्मास दिल्ली में क ई । महत्वपूर्ण चातुर्मास के दौरान कलेक राय नेता आपके प्रवचन समने अवया आपने दर्शन । कार्वतकर का भी इसी दौरान आप परिचय ह! कान कालेलकर प्रसिद्ध विद्वान विचारस के है। जैन धर्म के भी आप अच्छेशन रहे हैं। आ. अनेक अवसरों पर जैन धर्मावलन्दियों के नाम वचन पवारते रहे हैं। आपने भी जनधी के राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत विचारों को खूब सराहना की। सरदार वत्तम भाई पटेल सन् १६९ का आचार्यश्री का चातांत राजकोट में 2. 5 सरदार वत्तम भाई पटेल पूज्य आचार्य श्री के दर्शनार्य पधारे। सरदार पटेल ने आचार्यश्री के दिन पार व्यक्त करते हुए कहा कि 'जार लोग धन्य हैं, जिन्हें ऐसे महाला मिले हैं और जिनके नरक मायान सुनन को मिलते हैं। नगर यह सुनना तभी सफल है जय उपदेशों को जीवन में उतारा जा महाला गांवी-वि.सं. १६३ का राजकोट चातांस कई दृटियों से एक यादगार चाहत ३० १६ अक्टूबर को सद्रपिता महात्मा गांधी भी आचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे। बड़े : का नायका का मिलन हुआ। दोनों में परस्पर सुन्दर विचार-विमर्श हुआ। और ऊपर के विवरण से स्पष्ट होता है कि आचार्यश्री का अपने समय के सभी सरकार नताओं के अतिरिक्त भी प्रो. राममर्ति, पट्टाभि सीतारामय्या, राम त्रिपान आदि अन्य अनेक महानुभावों ने भी समय-समय पर आचार्यश्रीत मायिक तया तात्विक विषयों पर भक्त विचार-विमर्श किया। इसी चातुर्मास में २६ अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात इस प्रकार ऊपर के विवरण स नाओं से सम्मितन हुआ। उक्त नेताओं के आत मेर, श्री रामनरेश त्रिपान आदि अन्य अ
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy