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________________ दीपिका-नियुक्ति टीका अ. शु.१७ कायक्लैश तपसः स्वरूपनिरुपणम् 637 ___ तत्वार्थदीपिका---पूर्व तावद् यथाक्रम मशनादिरस परित्याग पर्यन्तं बाह्य तपः सविस्तरं मरूपित, समाति-क्रमागतस्य कायक्लेशरूप पञ्चम बाह्य तपसः स्वरूपं भेदांश्च प्ररूपयितुमाह-शायकिलेलतवे' इत्यादि / कायक्लेशतपः कायस्य क्लेशो यस्य-यस्थिन्वा स कायक्लेशः तद्रूपं तपः-कायक्लेश तष उच्यते धर्म-धार्मिणोरभेदोपचारात् तच्च-कायक्लेश तपोऽनेकविधं भवति / तद्यथास्थानस्थितिकादि भेदतः, स्थानस्थितिकः 1 आदिना-उत्कुटुकासनिकः 2 प्रतिमास्थायी 3 वीरासनिकः 4 नैषधिका 5 दण्डायतिका 6 कुटशायी 7 आतापकः 8 अमावृतकः 9 अकण्ड्यकः 10 अनिष्टीवकः 11 सर्वशानपरिकर्म विभूषा विषमुक्तः 12 इत्येवरीत्या कायक लेशतपोऽनेकविध भवति / तत्र-स्थान 'कायकिलेसतो अणेगविहे' इत्यादि। सूत्रार्थ-स्थान स्थितिक आदि के भेद से कायक्लेश तप के अनेक भेद हैं // 17 // तत्वार्थदीपिका--पहले अनशन से लगा कर रख परित्याग पर्यन्त बाह्य तप का सविस्तर व्याख्यान किया गया, अब क्रमागत कायक्लेश नामक पांच बाह्य तप के स्वरूप और लेदों का मरूपण करते हैं जिस तप से या जिल्स तप को करने पर काय के क्लेश होता है, वह काय च्लेश तप कहलाता है। यहां भी धर्म और धी में अभेद का उपचार किया गया है। कायक्लेश तप अनेक प्रकार का है, जैसे (1) स्थान स्थितिज्ञ (2) उस्कृष्ट कामानिक (3) प्रलिमास्थायी (4) वीरालनिक (5) नैवधिक (6) दण्डात्तिक (7) लकुट शायी (8) आतापक (9) अप्राकृतझ (10) अऋण्डू एक (11) अनिष्ठीयक और (12) सर्वगात्र 'कायकिलेसत अणेगविहे' त्यात સૂવાથ–થાન સ્થિતિક આદિના ભેદથી કાયકલેશ તપના અનેક ભેદ છે 17 તત્વાર્થદીપિકા-પહેલાં અનશનથી માંડીને રસપરિત્યાગ પર્યન્ત બાહ્ય તપનું સવિસ્તર વર્ણન કરવામાં આવ્યું હવે કમાગત કાયકલેશ નામક પાંચમાં બાહ્ય તપને રવરૂપ અને ભેદનું પ્રરૂપણ કરીએ છીએ જે તપથી અથવા જે તપ કરવાથી કાયાને કલેશ થાય છે તે કાયકલેશ તપ કહેવાય છે. અહીં પણ ધર્મ અને ધમમાં અભેદને ઉપચાર કરવામાં मा०ये। छ. ४।२४सेश त५ मने 4.2 // छ (1) स्थानस्थिति (2) अge. सनि: (3) प्रतिमाथायी (4) वीसनि (5) नैषधि (6) १९यति: (7) टशायी (8) माता५४ (6) प्रात(१०) 1554 (11) मनिही4s
SR No.010523
Book TitleTattvartha Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size73 MB
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