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________________ - - - दीपिका-निर्युक्ति टीका अ.७ खु.५९ चारित्रभेदनिरूपणम् .. ४३७ छाया-चारित्रं पञ्चविधं, सामायिक छेदोपस्थापन परिहारविशुद्धिकसूक्ष्म साम्पराय यथाख्यात भेदतः ।।५९॥ तत्वार्थदीपिका-पूर्व तावत् समितिगुप्तिधर्मानुप्रेक्षा परीपहजय चारित्राणां कर्मास्रवनिरोधलक्षणसंवरहेतुत्वेन प्रतिपादितत्वात् तेषां खलु संवरहे तूनां मध्ये चारित्रसंज्ञाव्यपदेशाथै प्रथमं चारित्रभेदान् प्रतिपादयितुमाह-'चरितं पंच विहं।' इत्यादि । चारित्रं तावत्-पूर्वोक्तदविधश्रमणधर्मान्तर्भूतं संयमात्मकं पञ्चविधं वर्तते, सामायिक १ छेदोपस्थापन २ परिहारविशुद्धिक ३ सूक्ष्मसाम्पराय ४ ययाख्यात ५ भेदतः। तथा च-सामायिकचारित्रम् १ छेदोपस्थापन. चारित्रम् २ प.रेहारविशुद्धिकचारित्रम् ३ सूक्ष्मसाम्परायिकचारित्रम् ४ यथाख्यात चारित्रञ्चे ५ त्येवं पञ्चविधं चारित्रमवगन्तव्यम् । सम:-सम वं रागद्वेषरहितत्वेन 'चरित्तं पंचविहं सामाय' इत्यादि । सूत्रार्थ-~चारित्र पांच प्रकार का है-(१) सामायिक (२) छेदोपस्था पनीय (३) परिहार विशुद्धि (४) सूक्ष्म साम्पराश और (५) यथाख्यात ।५९। तत्त्वार्थदीपिका-पहले प्रतिपादन किया गया था कि समिति, गुप्ति धर्म अनुपेक्षा, परीषह जय और चारित्र संघर के कारण हैं । इन संवर के हेतुओं में से चारित्र का स्वरूप प्रतिपादन करने के लिए उसके भेदों का निर्देश करते हैं पूर्वोक्त दस प्रकार के श्रमण धर्मों के अन्तर्गत संयमात्मक चारित्र पांच प्रकार का है-(१) लामाथिक (२) छेदोपस्थापनीय (३) परिहार विशुद्धिक (४) सूक्ष्मवापराय और (५) यथाख्यात । इस प्रकार चारित्र पांच प्रकार का समझना चाहिए। 'चरित्त पंचविहं' इत्यादि ।।५९॥ सूत्राथ-यात्रि पांय ४२ना है-(१) सामयि४ (२) छे।५२थानीय (3) प२ि७.२विशुद्धि (४) समसा-५२॥य भने (५) यथा ॥५ તત્વાર્થદીપિકા–પહેલા પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું હતું કે સમિતિ, ગુપ્તિ, ધર્મ, અનુપ્રેક્ષા, પરીષહજય અને ચારિત્ર, સંવરના કારણ છે. આ સંવરના હેતુઓમાંથી ચારિત્રના સ્વરૂપનું પ્રતિપાદન કરવા માટે તેના ભેદેતું નિદર્શન કરીએ છીએ પૂર્વોક્ત દશ પ્રકારના શ્રમણધર્મોના અતર્ગત સંયમાત્મક ચારિત્ર પંચ ४२ना छ- (१) सामा४ि (२) छे?:५२थानीय (3) परिहा२ विशुद्धि (૪) સૂમસાપરાય અને (૫) યથાખ્યાત આવી રીતે ચારિત્ર પાંચ કારના સમજવા જોઈએ,
SR No.010523
Book TitleTattvartha Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size73 MB
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