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________________ سع سع سع للم لع س لس A ५ सत्य का प्रभाव ३२६ । ४ एक 'समय' का महत्व ३७१ ६ असत्य के भेद ३२७ / ५ जीवन ओस की बूंद सदंश है ३७२ ७ सत्यव्रत की भावनाएँ ३२८ ६ जीवन के उपक्रम ३७४ ८अदत्तादान त्याग ३२६ ७ मनुष्यत्व की दुर्लभता ३७४ अदत्तादान की भावनाएँ ३२१ ८ जीव का स्थावर काय में निवाल ३७५ १० अदत्तादान के भेद ३३० ६ पृथ्वी में आत्मा है ३७८. ११ मैथुन त्याग ३३० १० वनस्पति की सजीवता ३७८ १२ संग्रह परिग्रह है ३३१ ११ जल की सजविता ३७६ १३ अपरिग्रह व्रत ३३२ १२ अग्नि की लजीवता ३७६ १४ रात्रि भोजन त्याग ३३४ १३ वायु काय की सजीवता १५ पृथ्वीकाय की रक्षा १४ जीव की विकलेन्द्रिय दशा। ३८१ १६ वायु और वनस्पति काय की १५ जीव की पंचेन्द्रिय दशा ३८२ परिक्षा ३६७ १६ पंचेन्द्रिय जीवों के भेद ३८२ १७ मिक्षा के नियम १७ जीव का सवनमण ३८३ १८ भिक्षा के दोष १८ आर्यत्व की दुर्लभता ३८४ १६ श्राहार करने का प्रयोजन १६ आर्य-अनार्य का विवेचन ३८४ २० मुनि का समभाव ३४४ २० अविकल-इन्द्रियों की दुर्लभता ३८५ २१ ज्ञान चारित्र शरण है २१ धर्म श्रवण की दुर्लभता २२ जातिभेद ओर कुलभेद २२ तीर्थ का स्वरूप और भेद ३८७ २३ बुद्धिमद और लाभमद २३ धर्म श्रद्धा की दुर्लभता । ३८८ २४ साधु निष्काम हो ३४६ २४ धर्मस्पर्शता की दुर्लभता ३८६ २५ बावन अनाचीरण २५ जीवन क्षीण हो रहा है २६ मानसिक चपलता का त्याग ३५३ २६ जीवन के खतरे ३६२ २७ साधु की बारह पडिमाएँ ३५४ २७ शारीरिक ममता का त्याग ३६३ २८ करण सत्तरी के लत्तर भेद ३५५ २८ त्याग पर निश्चल रहने का उपदेश ३६५ २६ चरण सत्तरी , २६ काल के छह पारे ३६७ ३० आठ प्रभावनाएँ ३५७ | ३० द्रव्य कंटक-भावकंटक ३१ धर्म कथा के चार भेद ३५८ | ३. उदबोधन ३६१ .३२ कला की सार्थकता . ३६१ ३२ सिद्धि लोक ४०१ ३३ साधु की बारह उपमाएँ ३६१ ग्यारहवां अध्याय-भापा स्वरूप वर्णन ३४ चीस अलमाधि दोप ३६४ १ भाषा की पुद्गल रूपता विविध दसवां अध्याय-प्रमादपरिहार __ शंका समाधान ४०३ १ जीवन की भंगुरता ३६६ / २ भापा और संकेत. ४०६ २ प्रमाद के पाँच प्रकार ३६७ ३ शब्द कैसे सुना जाता है ? ४०७ ३ विकथाओं के भेद-प्रभेद ३६८/ ३६८/४ शब्दाद्वैत का निरसन ४०८ ३४६ * ३५६ * *
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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