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________________ ( ८३ ) तृतीय परिच्छेद. संग्रह नहि करनारा, धन, धान्य, सुवर्ण, रौप्य, मणि, मोती, प्रवालादि कांपण परिग्रह नहि राखनारा, तथा राग द्वेषना परिणामरहित, माध्यस्थवृत्तिथी सदा वर्तनारा, तथा जीवोना उद्धारवास्ते, श्रहंत जगवंत परमेश्वरें सम्यग्रज्ञान, दर्शन, चारित्ररूप धर्म, स्याद्वाद अनेकांतस्वरूप निरूपण करेल बे, तेनो नव्यजीवोने उपदेश करनारा, परंतु ज्योतिष शास्त्र, अष्टांगनिमित्तशास्त्र, वैद्यकशास्त्र, अर्थशास्त्र तथा राजनीतिसेवाप्रमुख अनेक शास्त्र, जेथी धर्ममां बाधा पहोंचे तेवां शास्त्रोनो उपदेश नहि करनारा, कारण के लौकिक शास्त्रो बुद्धिमान पुरुषो वर्त्तमानमां पण बहु अध्ययन करे बे, तेमज सांसारिक विद्यानां नवीन, नवीन अनेक पुस्तको बनावे. तथा पाश्चात्त्य पुरुषोनी बुद्धि जोइ श्रा देशना लोको पण सांसारिक विद्यामां बहुज निपुण थाय बे, अने ते कारणथी जीवोने धर्म पामवो बहुज मुश्केल थायबे, तेथी फक्त धर्मनोज उपदेश करनारा, एवा लक्ष्णवाला गुरु जैनमतमां बे अर्थात् जैनमतमां गुरुनां वां लक्षणो बे. प्रथम पांच महाव्रत साधुने धारण करवां कलां बे ते पांच महाव्रत कयां बे ? ते कहियें बियें. अहिंसासूनृताऽस्तेय, ब्रह्मचर्यापरिग्रहाः ॥ पंचभिः पंच निर्युक्ता, जावना निर्विमुक्तये ॥ २ ॥ श्रर्थः - (१) हिंसा ( जीवदया ) (२) सूनृत ( सत्यवचन बोलवु ) (३) अस्तेय ( साधुने उचित, या विना वस्तु न लेवी ते ) (५) ब्रह्मचर्य पाल (५) सर्व परिग्रहनो त्याग, ए पांच महाव्रत बे, तथा था पांच महाव्रतोमा एकेक महात्रतनी पांच पांच जावना बे. साधु या पांच महाव्रत, तथा पचीश जावना, मोहने वास्ते पाले. या पांच महाव्रतमांथी प्रथम महाव्रतनुं स्वरूप लखियें बियें. न यत् प्रमादयोगेन, जीवितव्यपरोपणं ॥ त्रसानां स्थावराणां च तदहिंसावतं मतं ॥ ३ ॥ श्रर्थः - त्रस, ( द्वीप्रियादि ) छाने स्थावर, ( पृथ्वी काय ) (अप्काय ते काय वाचकाय वनस्पतिकाय) या सर्व जीवोने प्रमादवश थइ मारे नहि. प्रमादनां लक्षणो; राग, द्वेष, सावधान, अज्ञान, मन वचन कायानुं चंचलपणुं, धर्मने विषे अनादर इत्यादि प्रमादने वश थइ जे प्राणातिपात करवो, तेनो जे त्याग, तेनुं नाम हिंसा व्रत बे.
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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