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________________ (५४) जैनतत्त्वादर्श. श्रागल वांचीश नहि, वांचीश तो तत्काल मरण पामीश. सिझसेनजीये डरीने विचार कयों के बे विद्या मली तेपण सारं थयु. चित्रोडथी विहार करी सिझसेनजी पूर्व देशमा कुमारपुरमां गया, तेनो राजा देवपाल ना. मनो हतो, तेने प्रतिबोधि दृढ जैनधर्मी कों. राजा निरंतर सिद्धांत श्रवण करवा लाग्यो, एम केटलोएक काल व्यतीत थयो. एकदा राजा गुप्त रीते गुरुजी पासे आव्यो; आंसुथी नेत्र जरी कहेवा लाग्यो के, हेजगवन् अमो वहुज पापी श्ये, तेथी आपनी अति उत्तम गोष्टीनो रस पी शकता नथी. श्रमे बहुज संकटमां आवी पड्या बीये. आचार्ये पुज्यु, तमोनो अ॒ संकट ? राजाये कह्यु, मारा वैरी राजाउँ बहुं बे, ते एकत्र थ मारूं राज्य लश लेवा चाहे . आचार्ये कडं राजन् ! आकुल व्या- ' कुल था नहि, तमोने हुं सहाय बुं, हवे तमारे शी चिंता ने ? राजा श्रा हिंमतथी वहुज खुशी थयो; पनी प्राचार्य राजाने पूर्वोक्त बने विद्या श्रापी समर्थ कों. ते विद्याउँथी परदल नंग थर गयु. तेमनो सर्व सरंजाम लूटी लीधो. राजा आचार्यनो परम जक्त थ गयो.आचार्य पण सु. खमां पडी शिथिलाचारी यश् गया. आ स्वरूप वृद्धवादिजीना सांजलवामां आव्युं. उपाश्रयना दरवाजा पासे उन्ना रही कहेवराव्यु के एक बुढो वादी आव्यो बे. सिझसेने बोलावी पोतानी सन्मुख बेसाड्या. वृद्धवादी पोतानुं सर्व शरीर वस्त्रश्री ढांकी वोव्या-"श्रण फुहियफुल्लमतोडहिं मारोवामोडिहिं मणु कुसुमेहिं ॥ अच्चि निरंजणंजीण, हिंड हिकाश्वणेणवणु ॥१॥ सिझसेनने विचार करतां श्रानो अर्थ सुजयो नहि, त्यारे विचारवा लाग्या के मारा गुरु तो नहि होय? एमनी उक्तिनो माराथी अर्थ थर शकतो नथी, एम धारी फरी जोयुं तो गुरुने जेलख्या. गुरुने पगे पडी वारंवार क्षमा मागवा लाग्या, अने पद्यनो अर्थ पुरवा लाग्या. वृक्षवादीजीए कह्यु "श्रप्राप्त फल एवा फुलने तोड नहि, जावार्थ के आ योग कल्पवृक्ष, जे योग रूप वृदना यम नियम तो मूल बे, ध्यान रूप मोटुं थड जेनुं , समता, कवित्व, वक्तृत्व, यश, प्रताप, मारण, उच्चाटन, स्तंजन, वशीकरणादि सिडियो तेना पुष्प बे, अने केवलझान फल ले. हजी तो योगकल्पवृदने फुलोज लागेला , ते केवलज्ञान रूप फलथी पागल फलशे, तेथीश्रा अप्राप्त फल, पुष्पान
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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