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________________ (१४) जैनतत्त्वादर्श. ए प्रकारें आ अवसप्पिणिमां जे तीर्थंकर श्रया तेमनां नाम तथा शा हेतुश्री ते नाम राख्यां ते समाप्त थयु. आ चोवीश तीर्थंकर मध्येबी बावीश अर्हत इक्ष्वाकुकुलमा उत्पन्न थया एटले के षजदेवजीना वंशमां श्रया, इक्ष्वाकुकुल रुपनदेवजीथी प्रसिद्ध , तेनुं स्वरूप आगल केहवामां आवशे, बाकीना वीशमा मुनि सुव्रतखामी तथा बावीशमा अरिष्टनेमि नगवान् ए बंने तीर्थकर हरिवं शमा उत्पन्न थया. चोवीश तीर्थंकरोमां बहा पद्मप्रन अने बारमा वासु पूज्य लाल वर्ण शरीरवाला थया, आठमा चंझपन तथा नवमा सुविधि नाथ (पुष्पदंत) ए बे तीर्थंकर श्वेतवर्ण स्फटिकवत् उज्वल शरीरवाला थया, उंगणीशमा महिनाथ तथा विशमा पार्श्वनाथ हरितवर्ण शरी रवाला थया, तथा वीशमा मुनिसुव्रत खामी तथा बावीशमा अरिष्टनेमि जगवान् श्यामवर्ण रंगें अलसीना फुलजेवा शरीरवाला थया. बाकीना सोल सुवर्णवर्ण शरीरवाला थया. चोवीश तीर्थकरोनां चिह्न तेमना दक्षिण पगमा हतांतथा तेमनी ध्व जामां ते चिह्न होय , हालपण तेमनी प्रतिमाना आसनमा ते चिह्न होय ने ते चिह्नो या प्रमाणे- (१) षनदेवजी बलद, चिह्न (५) अजित नाथजी, हाथीनू चिह्न (३) संजवनाथजीनुं घोडानुं चिह्न (४) अभिनंद नजी, वांदरानुं चिह्न (५) सुमतिनाथजीन कौंच पदीन चिह्न (६)पद्मप्र जुजी- कमल, चिह्न (s) सुपार्श्वनाथजीनुं साथीयानुंचिह्न (1) चंप्रजु जीनुं चंप्रमानुं चिह्न (ए) सुविधिनाथ (पुष्पदंत ) जीर्नु मकरनुं चिह्न (१३) शीतलनाथजीनुं श्रीवत्सनुं चिह्न (११)श्रेयांसनाथजीनुं गेंमानुंचिह्न (१२) वासुपूज्यजीनुं महिषर्नु चिह्न (१३) विमलनाथजीनुं सूअरनुं चिह्न (१४) अनंतनाथजीनुं बाजनुं चिह्न (१५) धर्मनाथजीनुं वजनुं चिह्न (१६) शांतिनाथजीनुं हरण- चिह्न (१७) कुंथुनाथजी, बोकडानुं चिह्न (१७) अरनाथजीनुं नंदावर्त्तनुं चिह्न (रए)महिनाथजीन कुंजन चिह्न (२०)मुनिसुव्रतस्वामिनु काचबानुं चिह (५१)नमीनाथजीनुं लीला कमलनुं चिह्न (२२) अरिष्टनेमिजीतुं शंखनुं चिह्न (२३) श्रीपार्श्वनाथजीनुं सप्पनुं चिह्न (२४) श्रीमहावीरस्वामिनु सिंहनुं चिह्न. हवे चोवीश तीर्थंकरोना पितानां तथा मातानां नाम कहीयें बीयें.
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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