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________________ नवम परिद. (०१) १३६ मा धारमा बे. तथा कांगडु मग, मठ श्रने हरडादिनां मीज (गोग्ली) थगरजो के श्रचित्त , तोपण योनि राखवा वास्ते, तथा निःशूकतादि परिहार वास्ते दांतथी तोडवा न जोशए. इत्यादि सचित्त वस्तुनु खरूप जाणीने सातमुं व्रत अंगीकर करवू जोश्ए. श्रावके प्रथम तो निरवद्य (दोष रहित) श्राहार करवो जोइए, तेम न करी शके तो सर्व सचित्त वस्तु खावानो त्याग करवो जोशए; तेम पण न करी शके तो बावीश अजय अने बत्रीश अनंतकाय तो अवश्य त्यागवा जोश्ए, वली चौद नियम धारवा जोश्ए. सूर उठीने यथाशक्ति नियम ग्रहण करवू, पनी यथाशक्ति प्रत्याख्यान करवं. नमस्कार सहित पोरसी प्रमुख प्रत्याख्यान, जो सूर्य उदय पहेला उचरवामां आवे तो शुद्ध , अन्यथा शुझ नश्री. शेष प्रत्याख्यान सूर्योदय पड़ी पण थर शके . नवकारशी जो सूर्योदय पहेला उचरवामां आवी होय तो तेनी पड़ीना पोरसी तेमज साढ पोरसी प्रमुख प्रत्याख्यानो थर शके जे. जे नमस्कारसहित सूर्योदयनी पदेलां उच्चारण न करीए तो कोपण काल प्रत्याख्यान करवू शुफ नथी; अने जो प्रथम नमस्कारादि प्रत्याख्यान मुष्टि सहितादि करे तो सर्वकाल प्रत्याख्यान करवामां अवे ते शुरुज थाय डे. रात्रिए चौविहार करे अने दिवसें एकासणुं करे, पड़ी ग्रंथिसहित प्रत्याख्यान करे तो तेने दरेकमासमां गणत्रीश उपवासनु फल मले बे. दररोज बे वखत नोजन, उपर कहेली रीति प्रमाणे करे तो तेने अहावीश उपवासनुं फल मले बे; कारण के भोजन करतां बे घडी काल लागे डे, बाकीनो काल तपमा व्यतीत थाय . आ कथन पद्मचरित्रमा डे. प्रत्याख्यान उपयोगपूर्वक पुरुं थइजाय तो पारे. हवे चारप्रकारना थाहारना विजाग कहीयें बीयें, अनाज, पक्वान्न, रोटला प्रमुख, जेनाथी तुधानो नाशयश् शके, ते प्रथम श्रशन नामनो थाहार . बाशनुं पाणी तथा उष्णजल प्रमुख श्रा बीजो पाननामा आहार . फल, फूल, शेलडीरस, सुखडीप्रमुख, श्रात्रीजो खादिमनामा थाहार बे; अने सूंठ, हरडे, पिपलीमूल, तीखां, जीरे, अजमो, जायफल, जावंत्री, अशेली, खेरवडी, जेठीमध, तज, तमालपत्र, एलायची, कोठ,
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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