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________________ अष्टम परिछेद. (३२) पयोगपूर्वक राखे, अने रात्रिए जुई राखे, आ व्रत जेवी रीतें गुरुमुखथी धारे तेवी रीतें पाले. आ व्रतना पांच अतिचार वर्जवा, ते कहीए बीए. १ श्राणवण प्रयोग अतिचार. नियम करेला क्षेत्रथी बहारना क्षेत्रमा को वस्तु होय, अने तेनी जरूर पड़े, त्यारे विचारे के मारे तो नियम करेला क्षेत्रथी बहार जवानो निषेध बे, तेथी को त्यां जतुं होय तेने कहे के अमुक वस्तु मारे वास्ते लेता श्रावजो. पली विचारे के माकं व्रत जंग थयुं नहि. अने वस्तु आवी ग. आ प्रथम अतिचार. २ पेसवण प्रयोग अतिचार. बीजा आदमीनी साथे पोताना नियम उपरांतना देत्र बहार को वस्तु मोकलवी ते. ३ सद्दाणुवाय अतिचार. नियमनी नूमिकाबहार को श्रादमी जतो होय, तेनी पासे कांश काम करावयूँ होय, त्यारे तेने खोखारो प्रमुख करी बोलावे, पड़ी कहे के अमुक वस्तु लेता श्रावजो. आ त्रीजो अतिचार जे. ४ रूपानुपाती अतिचार. पोताना नियम उपरांतना क्षेत्र को श्रादमी जतो होय, तेनी साथे कांश काम होय, त्यारे हवेली अथवा उकानना उपरना मजला उपर चडी, पोते तेनी दृष्टिए पडे तेम करे, पड़ी जनार आदमी पोतानी पासे आवे, एटले पोताना मतलबनी सर्व वात तेनी साथे करे तो था अतिघार लागे. ___५ पुग्लादेप अतिचार. पोताना नियम उपरांतनी नूमिकाए को श्रादमी जतो होय, अने तेनी साथे का काम होय, त्यारे तेना उपर कांकरो फेंके, जेथी ते पोतानी पासे आवे त्यारे, तेनी साथे सर्व मतलबनी वातचित करे तो आ अतिचार लागे. इतिदशम: . .. हवे अगीधारमा पौषधोपवास व्रतनुं खरूप लखीए बीए. पौषध बतना चार भेद , तेमां प्रथम आहार पोषध डे, तेना पण बेनेद , एक देशथी, बीजो सर्वथी. देशथी तो त्रिविहार उपवास करीने वा श्राचाम्ल (आयंबिल) करीने, वा त्रिविहार एकासणुं करीने पोषध करे, तेनो विधि लखीए बीए. . पोषध लीधा पहेला पोताने घेर कही राखे के, हुं श्राजे पोषध उचरवानो ढुं, तेमां श्राचाम्ल अथवा एकासणुं करवानो , तेथी नोजनने अवसरे थाहार करवा वीश, अथवा तमे ते अवसरे पोषध शालामां
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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