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________________ (६) जैनतत्त्वादर्श. सर्वव्यापी परमेश्वर पण उपदेशक थश् शकता होय तो तेवा परमेश्वर श्रा कालमां अमारा जेवाने केम उपदेश करता नथी ? कारण के ते वादीना कथनमुजब पूर्वकालमां अग्नि आदि ऋषियोने तेमणे प्रेर्या हता, तथा ब्रह्मादिद्वारा चार वेदादिनो उपदेश तेमणे को हतो, तथा मूसा इसाहारा जगत्ना जीवोने उपदेश कर्यो, तो हाल केम उपदेश नथी करता ? परोपकारीने उपदेश करवामां शुं विलंब ? जो कहो के श्री कालमा सर्वजीव उपदेश देवा योग्य नथी, तेथी उपदेश श्रापता नथी. तो पूर्वकालमां पण सर्वजीवोए परमेश्वरनो उपदेश मानेलो नथी. जुर्ज. प्रथम तो कालासुर प्रमुख अनेक जीवोए उपदेश मानेलो नथी. बीजो अजाजीले पण मानेलो नथी, तेमज यहूदाए तेमज केटलाएक इसराइलियोए पण मानेलो नथी; ते कारणथी पूर्वकालमां पण परमेश्वरने उपदेश देवो योग्य न होतो. जो कहो के, परमेश्वरें ते वखते उपदेश केम थाप्यो, अने हाल केम आपता नथी, ते बाबतमां तेनी वात ते जाणे, तो पनी तमे एम केम कहोडो के परमेश्वरने मुख नथी ? ते कारणथी तेज सत्य के के तीर्थकरनाम कर्मने वेदवा वास्ते जगवान् उपदेश आपे बे, अने जे वखते उपदेश आपेठे ते वखते देहधारी होय जे आटली चर्चा बस. ___ केवलज्ञानवान् पृथ्वीमंडलमा उत्कृष्ट पाठ वर्ष न्यून एक कोटि पूर्व प्रमाण विचरे . देवताए रचेला कंचन कमलोपर पग राखी चाले ने आठ प्रातिहार्यसंयुक्त अनेक सुरासुरकोटिसंसेवित विहार करे . था स्थिति सामान्यप्रकारथी केवलज्ञानवान्नी कही बे. जिनें तो मध्य स्थितिवाला होय . हवे केवली समुद्घातकरण कहियेडिये. केवलज्ञानवान् ज्यारे वेदनी कर्मनी स्थितिथी आयुकर्मनी स्थिति अल्प जाणे , त्यारे बंने स्थितिउने तुल्य करवावास्ते, केवली समुद्घात करे . ते समुद्घातनुं खरूप श्रा प्रमाणे . प्रथम समुद्घातशब्दनो अर्थ कहिये बियें. यथाखनावस्थित आत्मप्रदेशोने वेदनादि सात कारणोथी समंतात् उद्घातनं श्रर्थात् खन्नावथी अन्यजावपणे परिणमन करवू तेनुं नाम समुद्घात बे. समुद्घातना सात प्रकार ले १ वेदना स०, ५ कषाय सण, ३ मरण स०,
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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