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________________ पंचम परिवेद, (५३) काय, था उए कायमां सिद्धपणुं नथी, कारण के सिझ कायरहित के अर्थात् अशरीरी . ४ योग. त्रणप्रकारें योग बे, मन, वचन, काययोग; तेमां केवल काययोग एकेत्रिय जीवने बे, अने हींजिया दिथी असंही पंचेजिय पर्यंत जीवने, काययोग तथा वचनयोग डे, अने संझी पंचेंजिय पर्याप्त जीवने त्रणे योग , आ त्रणे योगमां सिद्धपणुं नथी, अने सिछ तो मन वचन, काययोगनो अन्जाव थाय जे त्यारे थवाय जे तेश्री सिक अयोगी . ५ वेद, त्रणप्रकारें बे, स्त्री, पुरुष, नपुंसक, आत्रणे वेदमां सिद्धपणांनो अनाव , त्रणे वेदनो दय करवामां आवे त्यारे सिअपणुं प्राप्त थाय , तेथी सिझ अवेदी . ६ कषाय. चार प्रकारे जे. क्रोध, मान, माया, लोन, आ चारेनो अजाव थाय त्यारे सिद्धपणुं प्राप्त थाय जे तेथी सिझ अकषायी जे. ७ ज्ञान. ते मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवविज्ञान, मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान, आ पांच प्रकारे ज्ञान , अने मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, विजंगज्ञान, या त्रण अज्ञान , तेमां प्रथमना चार ज्ञानमां अने त्रण अज्ञानमां सिकपणुं नथी, एक केवल ज्ञानमा सिकपणुं , ते केवलज्ञान अहियां सिझपणानुं जाणवू, परंतु सयोगी अवस्थानुं नहि. ७ चारित्र. सामायिक, बेदोपस्थापनीय, परिहार विशुकि, सूक्ष्म संपराय, यथाख्यात, आ पांच चारित्र, तेमज तेना प्रतिपक्षी देशसंयम तथा असंयम; ते पांचे चारित्रमा तेमज बंने विपक्षमा सिअपणुं नथी, कारण के ते सर्वे शरीर विद्यमान होय , त्यारे होय बे, अने सिद्ध तो शरीररहित . ए दर्शन, चक्षु, अचक्षु, अवधि अने केवल, आ चार दर्शनोमां प्रथमना त्रणमां सिकपणुं नथी, परंतु केवल दर्शनमां केवलज्ञाननी पेठे सिद्धपणुं . १० लेश्या. कृष्ण, नील कापोत, तेजु, पद्म, शुक्ल, आ गए वेश्यामां सिद्धपणुं नथी, कारण के वेश्या जवस्थजीवनो पर्याय , अने सिझ अलेशी बे. ११ नव्य, अजव्य, श्रा बंने अवस्थामां सिकपणुं नथी, कारण के जेने सिकपदनी प्राप्ति थशे ते जव्यजीव कदेवाय डे, अने सिकोने नवी पदवी तो कांश प्राप्त करवानी नथी, तेथी जव्यपणुं सिझमां नथी. वली जेने सिझ थवानी योग्यता कोपणकालमां न होय ते अजव्य कहेवाय बे, सिद्धना जीव एवा नथी, कारण के अतीतकालमा तेमां एवी योग्यता हती, तेथी सिक अनव्य
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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