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________________ चतुर्थ परिच्छेद. (209) वाथी, दुर्गतिना निषेधवास्तेज बे. वैदिक हिंसा स्वर्गनो हेतु नथी. ते उपर सारी रीतें लखी श्राव्या ढियें. वैदिक हिंसा विना पण स्वर्गप्राप्ति es शके बे. गत्यंतरना श्रावमांज अपवाद थइ शके बे. यज्ञ करवाथी स्वर्गनो निषेध थाय बे, एम अमेज मात्र कहेता नथी, परंतु व्यासजी पण कहे बे. यदाह व्यासमहर्षिः ॥ पूजया विपुलं राज्य, मग्निकार्येण संपदः ॥ तपः पापविशुद्धयर्थं ज्ञानं ध्यानं च मुक्तिदं ॥ १ ॥ श्रहिंयां अग्निकार्य शब्दवाच्यना यागादि विधि उपायांतरथी जे संपत् साध्य बे, तेनोज हेतु कहेतi rai, आचार्य ते यागने सुगतिनो हेतुज कदर्थन करी गया बे, तथा तेज व्यासजी नाव अग्निहोत्र " ज्ञान पाली ” इत्यादि श्लोकोथी स्थापन करी गया बे. इति मीमांसकमतखंडन ॥ ५ ॥ हवे चार्वाकमतनुं खंडन लखियेंबियें. चार्वाक कहेबे के श्रात्माजनश्री. तेथी मतावलंबी पुरुषो शा वास्ते वचन कलह करे बे ? ज्यारे श्रात्मानोज श्राव बे, त्यारे जैन, बौद्ध, सांख्य, नैयायिक, वैशेषिक, तेमज जैमिनीय, या जे दर्शनो बे, ते शा वास्ते निःकेवल लोकोने जममां नाखीने जोगविलासी बोडावे बे ? वास्तवमां श्रात्मा एवी कोइ वस्तुज नयी, ते कारथी मारो मत सुंदर बे. जो श्रात्मा होय तो तेनी सिद्धि बतावो ? उत्तरपक्ष :- प्रतिप्राणी स्वसंवेदन प्रमाण चैतन्यनी अन्यथा अनुपपतिथी सिद्ध बे. जु या जे चैतन्य बे, ते भूतोनो धर्म नथी, जो भूतोनो धर्म होय, तो तो पृथिवीनी कठिनतानी पेठे सर्व कार्ले, सर्व स्थलें उपलब्ध थवो जोइयें, ते सर्वदा उपलब्ध यतो नथी, कारण के लोष्टादिमां, तेमज मृत अवस्थामां चैतन्य उपलब्ध यतुं नथी. पूर्वपक्ष:- लोटादिमां, तेमज मृत अवस्थामां पण चैतन्य बे, केवल शक्ति रूपें बे, ते कारणथी उपलब्ध यतुं नथी. उत्तरपक्षः - बे विकल्प न उलंघन करवायी या तमारुं कहेतुं प्रयुक्त a. जु. ते शक्ति चैतन्ययी विलक्षण बे ? के चैतन्यज बे ? जो कहो के विलक्षण बे, तो तो शक्तिरूपें चैतन्य ने एम कहो नहि. कारण के पट विद्यमान बतां, पटरूपें घट रहेतोज नथी " आह च ॥ प्रज्ञाकरगुप्तोपि ॥ रूपांतरेण यदित, तदेवास्तीति मारटीः ॥ चैतन्यादन्यरूपस्य, जावेद्य कथम् ॥ १ ॥ जो बीजो पक्ष मानशो. तो तो चैतन्यज ते श
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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