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________________ ( १८० ) जैनतत्त्वादर्श. ताना योगथीज सत् केदेवाय बे ? के सत्तासंबंध विनाज सत्स्वरूप बे? जो कहो के स्वतःज सत्स्वरूप बे, तो सत्तानी कल्पना करवी व्यर्थ a. जो कहो के सत्ताना योगथी सत् बे तो तो शशविषाणपण सत्ताना योगथी सत् होवां जोइयें. यथा ॥ स्वतोऽर्थाः संतु सत्ताव, त्सत्तया किं सदात्मना ॥ सदात्मसु नैषा स्या, त्सर्वथा तिप्रसंगतः ॥ १ ॥ इत्यादि. श्रा दूषणो तुल्य योगदेम होवाथी पर सामान्यमांपण जोडी देव. वली मे पण वस्तु सामान्य विशेषरूप होवाथी तेजने कथं चित् सामान्यरूप मानियेंज बियें. ते वास्ते द्रव्यग्रहण करवामां सामान्यनुं प्र ह युं, तेहेतुथी सामान्य, द्रव्यथी पृथक् पदार्थ नथी. ५ विशेष अत्यंत व्यावृत्ति बुद्धिनो हेतु दोवाथी वैशेषिकोए मानेa. हवे जु. ते विशेषमां जे विशेषबुद्धि बे, ते पर विशेषोथी बे ? के स्वतःज स्वरूपथी बे ? अपर विशेषदेतु तो लागतो नथी, नवस्था, तेमज विशेषमां विशेषनो अंगीकार नथी. जो कहो के स्वतःज विशेषबुद्धिन हेतु बे, तो पढी विशेषोने द्रव्यथी अतिरिक्त पदार्थ कपवा व्यर्थ बे. अने द्रव्यथी अव्यतिरिक्त विशेषोने, सर्व वस्तु सामान्य विशेषात्मक होवाथी, अमे पण मानियें बियें. ६ समवाय, अयुत सिद्ध आधार श्राधेयभूतोना जे इह प्रत्ययनो देतु बे, ते समवाय देवाय बे. वली समवाय नित्य, तेमज एक बे, एम वैशेषिक माने बे. ते समवाय नित्य होवाथी, समवायी पण नित्य होवां जोईयें. जो समवायी अनित्य बे, तो समवाय पण नित्य होवो जोइये ? कारण के समवायनो आधार समवायी बे. तथा समवाय एक होवा समवायी पण एकज होवो जोइयें अथवा समवायी अनेक होवाथी समवाय पण अनेक होवा जोइयें. वली समवाय जे पदार्थोंनो समवायी संबंध करे बे, ते समवाय ते पदार्थोनी साथे पोतानो संबंध बीजा समवायना योगथी करे बे ? के पोतेज पोतानो संबंध करे बे ? जो कहो के बीजा समवायथी करे ढे, तो तो अनवस्था दूषण बे, अने समवायपण बीजो बे नहि. जो कहो के पोतानो संबंध करे छे, तो तो गुण क्रियादि पण व्यथी स्वरूपें तथा श्रविष्वंग जावसंबंधथी संबंधी बे. तो हवे समवाय कल्पवो पण व्यर्थ बे. +
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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