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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोज संग्रह,अाठवा भाग विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण अनुषशान्त क्रोध १६४ १ १२४ ठा ४ उ १ स २४६ अनुपालनाशुद्ध मन्या- ३२८ १ ३३७ श्राव ह थ, ६ पृ. ८४६, ख्यान ठा ५ उस ४६६ १ अनुमेक्षा ३८१ १ ३६८ ठा १३३ मु ४६५ अनुप्रेक्षा(भावना)वारह ८१२४ ३५५ शा मा. १-२,भावना ज्ञान पर , प्रत्र द्वा ६७ गा.५७२.१ ७१, तत्त्वार्य अव्या ६ स ७ अनुभागनाम निवत्तायु ४७३ २८० मश६८ सू २५० टी ठा। र ३ सृ ५ ३६ टी अनुभाग वन्ध २४७ १ २३२ ठा ४३ २ २६६,कर्म मा गा २ अनुभाव(फल)आठ कर्माक५६०३ ४३ पन्न प २३ ० २६२ अनुभापण शुद्ध प्रत्या- ३२८ १ ३३७ ठा ५ उ ३ सू ४६६, भाव ह ख्यान घ ६ १८४७ अनुमान ३७६ १ ३१५ रत्ना. परि ३ स् १० अनुमाननिराकृतवस्तुदोष ७२३ ३ ४११ ठा १० उ.३ सू. ७४३ टी भनुमान निराकृत साध्य ५४६ २ २६१ रत्ना, परि ६ सू. २ धर्म विशेषण पक्षाभास अनुमान प्रमाण २०२१ १६० भ श.५उ ४स १६३,अनुसू १४४ अनुयोग के चारद्वार २०८ ११८५ अनु. सू. ५६ अनुयोग के चार भेद २११ १ १६. दा. नि. गा ३ पृ. ३ अनुयोग के चार भेद ४२७ २ २६ अनु सू. ५६ अनुयोग के सात निक्षेप ५२६२ २६२ विशे. गा. १३८१ मे १९६२ अनुयोग देने वाले के ६५२ ६ २८६ बृ नि.गा २४९-२४४ अठाईस गुण १ सीन्ने हुए सूत्रार्थ का बार बार मनन करना ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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