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________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण१ भनिसृष्ट दोष ८६५ ५ १६४प्रय द्वा६७ गा ५६६,ध अधि.३ श्लो २२टी पृ ३८,पिं नि गा.६३. पि वि गा.४, पंचा,१३गा.६ २ अनिवाचार ५६८३६ घ अधि १ श्लो. १६ टी पृ१८ ३ अनीक ७२६ ३४१६ तत्त्वार्थ, प्रध्या ४ सू ४ अनुकम्पा २८३ १ २६४ धमधि २श्लो २२ टी पृ ४३ अनुकम्पादान ७६८ ३ ४५० ठा १० उ३ सू ७४५ अनुकम्पा प्रत्यनीक ४४५ २ ५० म. श ८ उ ८ सू. ३३६ अनुगामी अवधिज्ञान ४२८ २ २७ ठा ६उ ३सू ५२६, न सू :-१. अनुनट भेद ७५० ३४३३ ठा १० उ ३ सू. ७१३ टी., पन्न. प १३ सू १८५ अनुत्तर दस केवली के ६५५ ३ २२३ ठा १० उ ३ सू ७६३ अनुत्तर पॉच केवली के ३७६ १ ३६१ ठा ५ उ १ सू ४१० अनुत्तर विमान पाँच ३६६ १ ४२० पन्न ११ सू. ३८, भ. श १४ उ ७ सू ५२६ अनुत्तर विमान में उत्पन्न ह८३ ७ ११२ पन्न. प १५ उ २ टी. ३१६ जीव क्या नरक तिर्थश्च के भव करता है? अनुत्तर विमानवासी देव १८३ ७ १०३ भ श ५ उ ४ सू १६६ शंका होने पर किसे पूछते हैं और कहाँ से? अनुत्पन्न उपकरणोत्पा- २३५ १ २१६ दशा द ४ दनता विनय १ माहार का एक दोप। २ ज्ञानाचार का भेद । ३ सैनिक देव अथवा सेनानायक देव।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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