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________________ ३१२ श्री सेठिया जैन प्रन्यमाला धिकार धिकार विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण सम्यक्त्वकेपरपापंडप्रशंसा८२१ ४ ४६१ नवपद गा १८टी सम्यक्त्वादोप पर सयडाल की कथा धिकार सम्यक्त्व के प्रभावना आ-८२१ ४ ४८५ नवपद गा १८ टी सम्यस्त्वाचारपरविष्णुकुमारकीकथा सम्यक्त्व के लिये१३दृष्टान्त८२१ ४ ४२२ नवपद ७ वां सम्यक्त्व द्वार सम्यक्त्वकेवात्सल्याचार८२१ ४ ४८१ नवपद गा.१८टी सम्यक्त्वा. केलिये वज्रस्वामी का दृष्टान्त धिकार सम्यक्त्व के विचिकित्सा ८२१ ४ ४५६ नवपद गा १८ टी सम्यक्त्वादोपके लिये महेश्वरदत्त वणिक् का दृष्टान्त सम्यक्त्व के शंका दोप के ८२१ ४ ४५३ नवपद गा.१८ टी सम्यक्त्वा. लिये मयूराण्ड,सार्थवाह कीकथा धिकार, ज्ञाभ ३ सम्यक्त्व के स्थिरीकरण ८२१ ४ ४६६ नवपद,गा १८ टी सम्यक्त्वाआचार के लिये आर्यापाढ़ विकार, उत्त प्र.२ (कथा) प्राचार्य का दृष्टान्त सम्यक्त्वप्राप्तिके दसबोल ६६३ ३ ३६२ उत्त अ २८गा.१६-२७ सम्यक्त्व माप्ति के लिए ८२१ ४ ४३४ नवपद गा १४टी , शाम १८ चिलाती पुत्र की कथा मम्यक्त्व प्राप्ति के लिये ८२१ ४ ४४६ नवपद.गा.१६सम्यक्त्वाधिकार धन सार्थवाह की कथा सम्यक्त्व माप्ति के लिये ८२१ ४ ४२३ नवपद गा १२८ श्रेयॉसकुमार की कथा सम्यक्त्व भ्रष्ट होने पर ८२१ ४ ४४४ ज्ञा.म.१३,नवपद गा १४ नन्द मणियार की कथा
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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