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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, आठवाँ भाग विषय बोल भाग पृष्ठ योनि की व्याख्या और भेद ६७ १४७ योनि संग्रह आठ ६१० ३ १२७ र ८४५५ ४६ प्रमाण तत्त्वार्थ श्रध्या २, ठा. ३ १४० दश० ४, ठा. ८ ३.५६५ प्रव द्वा १४३ गा ६१७,तत्त्वार्थ • अध्या १८ टिप्पणी ठा १०३ ३सू. ७४७ रज्जु की व्याख्या ७२१ ३ ४०४ १ रज्जु संख्यान रति अरति पर छः गाथाएं ६६४ ४ १६० सम १४ रत्न चौदह चक्रवर्ती के ८२८ ५ २० रत्नावली यादित काली ६८६ ३ ३३५ प्रत व ८ आदि रानियों के रत्नावली तप यंत्र सहित ६८६ ३ ३३६ प्रतव रस गौरव (गाव) ६८ १७० २६७ रस घात ८४७५७८ रसना के संयम पर७ गाथाह६४ ७ २१२ रसनेन्द्रिय ३६२ १ ४१८ ठा ३उ ४ सू २१४ कर्म भागा २ पन प १५३१सू १६१, टा ५ उ ३ सू४४३, जैप्र. अनु०सू १२६गा. ६३-८१ टा १० उ ३७१३ टी., पन्न प १३१८४-१८५ ४७६ २८६ उत्त. ३०गा ८,ठा ६५११, ख.पू. १६, प्रवद्वा ६गा २७० _ १६,भरा २५उ ७सू ८० २ ६३६ ३ २०७ ७५० ३ ४३४ रस नौ काव्य के रस परिणाम रस परित्याग रस परित्याग के नौ भेद ६३३ ३ १८६ रस पाँच ५१५ १४३६ ठा ५३१ सू ३६० १ रस्सी से नाप कर लम्बाई चौड़ाई मालूम करना रज्जु सख्यान कहलाता है ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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