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________________ २६६ विषय घोल भाग पृष्ठ ममाण योग का चौथा अङ्ग (माणा - ५५६ २३०२ यो रायो, टोप गीता अध्याय ६ याम) योग का साधन करने के ५५६ २ ३१४ गीता अध्याय ६ लिये नियमित आहार विहारादि योग की व्याख्या और भेद ६५ १६८ ठा. ३. १२४, तत्त्वार्थ भध्या १ ५५६ २३१० पी०प० ८५५ ५ १३८ १६२०२, रा. २४३.१ ४६७ २ १४६ ८६६ ५ १६५ योग के कुछ आसन योग के पन्द्रह भेद योग दर्शन योग दोप श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला योग नारकियों में योग परिणाम योग प्रतिक्रमण योग सत्य यांगांग याठ योगात्मा ५६० २ ३३७ जीन्प्रति ३८८ योगमार्गणा और उसके भेद ४६ ५५८ १ योगवाहिता ७६३ ३ ४४५ योग संग्रह तीस ६६५ ७ १६ प्रवद्वा. ६७५६८, ६. मधि ३ श्लो २२१.४०, पि.निगा. ४०६, पिं.वि गा.पा. १३ मा १६ ७४६३४२७ टा १०३ ३७१३, पद्म १.१३ ३२६ १ ३३८ ट ५ ३४६७, माप. ६ भ.४ गा. १२५०-१२५१५४६४ कर्मभाग १० १०३.३७८ उत्तम ३१.२० टी., प्रन्न धर्महारी, मग ३२, मार. ६ ४गा, १२७४-०८ (३ १०७८५.१.११५. १.२.१२१ ६६८ ३ २७० मधि १६४ ६०१ ३११४ यो०, रा०यो • ५६३ ३ ६६ भग १९३१०.४६७ १ पान करना इस शुभ कर्मों का बन्ध होता है । , कार, सांसारिक पदार्थों पर से राम हटा कर शाम पान
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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