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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह,पाठवा भाग विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण मल्लिनाथ भगवान् की कथा:०० ५ ४४४ ज्ञा०प्र.८ मल्लिनाथ भगवान् के छः ८१२ ४ ३८० ज्ञा०८ मित्रराजा (संसार भावना) मल्लिनाथ भ के साथदीक्षा५४३ २ २७८ ठा ७७ ३ सू ५६४ लेनेवालेछाराजाओं कीकथा | मसि कर्म ७२ १ ५२ जी प्रति ३उ १५ १११,तन्दुल सू १४-१५४० महति वीर (महावीर) ७७० ४ ४ जनविद्या वोल्यूम१न १ महत्तरागार ५१६ २ २४७ श्राव ह भ पृ८५३टी ,प्रव. द्वा ४गा २०४ महर्द्धिक देव दस ७४३ ३ ४२१ ठा १०उ.३ सू ७६४ महाफाल निधि ६५४ ३ २२१ ठाउ ३ सू ६७३ महाकाली रानी ६८६ ३ ३४१ अत०३८ अ ३ महा कृष्णा रानी ६८६ ३ ३४४ मंत०व ८ अ ६ महाग्रह पाठ ६०४ ३ १२१ ठा ८ उ ३ सू ६ १२ महा चन्द्र कुमार की कथा ४१० ६६० वि०१६ महानदियाँ चौदह ५३८-५३६ २ २७० ठा ७३.३ सू ५५५ महान दियाँ चौदह ८४४ ५ ४५ सम १४ महानदियाँदसमेरुसेउत्तरमें७५६ ३ ४४१ टा १०उ ३ सू ७१७ महानदियॉदसमेरुसेदक्षिणमें७५८३ ४४० ठा १०३ ३] ७१७ महान दियॉसातसात५३८-५३६ २ २७० टा ७३ ३ सू ५५५ महानदियों को साधु द्वारा ३३५ १ ३४६ ठा ५उ २ सू ४१२ एक मास में दो. तीन वार पार करने के पाँच कारण महानिधि नौ चक्रवर्ती की ६५४ ३ २२० टा.६उ.३स.६७३
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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