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________________ २०४ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला विषय वोल भाग पृष्ट प्रमाण परिग्रहाभ्यन्तरके १४भेदच्४. ५ ३३ उ.१ गा८३१ परिग्रह का खरूप ४६७ २ १६८ परिग्रह के तीस नाम ६५८६ ३१० प्रश्न, ग्राश्रमद्वार ५ परिग्रहत्यागपर ११गाथा ६६४ ७ १८१ परिग्रह नौ ६४० ३ २११ प्राव हम..१८२५ परिग्रह परिमारण व्रत ३०० १ २६० थावह य ६१८२५,ठा. मृ ८८ उपा अ.१सूध मधि, २लो २६१६७ परिग्रह परिमाण व्रत के ३०५ १३०० उपा.प्र.१सू ७,याव ह म ६ पृ. पाँच अतिचार ८२५,ध मधि.२श्लो.४७ १०४ परिग्रह परिमाण व्रत ७६४ ४ २८२ प्रागम निश्चय और व्यवहार सं परिग्रह विरमण रूप पाँचवें३२१ १ ३२६ ग्राव ह म १६८,प्रय द्वा ७२ महाव्रत की पांच भावनाएं गाई ४०,गम,२५,माचाथ. रचू ३ २४ सू.१०६, ध मधि ३श्लो.४५टी पृ १२५ परिग्रह संज्ञा १४२ १ १०५ ठा ४३.४सू ३५६,प्रब द्वा १४४ परिग्रह संज्ञा ७१२ ३ ३८७ टा.१०.७५२,भ श.७३.८ परिग्रह संज्ञा चार कारणों१४६ १ १०६ य ४ उ.४ स ३५६, प्राता से उत्पन्न होती है १४ गा२३ परिचारणानारकीजीवाम५६० २ ३३६ पन ५३४:२० परिचारणा पॉच देवों की३६८१ ४२२ पन प.३४, रा. ५ ४०२टो, परिज्ञा पॉच ३६२ १ ३७५ टाउ स ४२० परिहावणियागार ५१७ २ २४७ धाव इ. १८५, प्रव.दा. १ वस्नु स्वरूप दा मान करना और मानपूर्वक म छोरना।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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