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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह,पाठवा भाग १८५ विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण धार्मिक पुरुष के ५आलंबन३३३ १ ३४३ ठा ५उ ३सू ४४७ धूम दोष ३३० १ ३४. ध अधि ३श्लो २३टी पृ ५५, पि.नि गा.६३५६८,उत्तम २४गा १२,उत्त श्र २६गा.३२ धैवत या रैवत स्वर ५४० २ २७१ अनुसू १२ ७गा २५,ठा ७सू ५५३ धौवन पानी इक्कीस ह१२ ६ ६३ अाचा श्रु २म १उ.७-८सू ४१प्रकारका ४५,पि नि गा १८-२१,दश अ. ५ उ १गा ७५-७६ धपात वायु ४१३ १ ४३८ ठा ५ उ ३ सृ ४४४ ध्यान ४७८ २ ८४ उव सू २०,उत्त अ ३०गा.३०, ठा ६सू५ ११,प्रव द्वा ६गा २७१ ध्यान ६०१ ३ ११६ यो , रा यो. ध्यान की व्याख्या और २१५ १ १६३ ठा ४ उ १सू २४७, सम ४, उसके भेद दश म पनि गा ४८टी,प्रवद्वा. हंगा २७१टी, पाव हम ४ ध्यानशतक पृ५८०,भागम. ध्यान के अड़तालीस भेद ६३३ ३ १६५ उव सू २०,भ श २५उ ७सू८०३ ध्यानके अड़तालीसभेद १००२ ७ २६६उव सू २०,भ.श २५ उ ५सू८०३ ध्यानमविघ्न रूप पाठ दोष ६०३३ १२० क भा २ श्लो १६०-१६१ ध्रुवबन्धिनी प्रकृतियाँ ८०१ ४ ३३७ कम भा ५ गा १-२ ध्रुवसत्ताक प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३४२ कर्म भा ५ गा.१,८, ध्रुवोदया प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३४१ कर्म भा ५ गा १-६ ध्रौव्य ६४ १ ४५ तत्त्वार्थ अध्या ५ सू २६ नकारे के छः चिह्न ४६१ २ १०२ उत्त. म १८ गा ४१ नमुचि कुमार की कथा(हस्तलिखित)
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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