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________________ १८४ श्री सेठिया जैन प्रत्यमाना विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण धर्म वोधि आदि ग्यारह ४१ १ २६ ठा २३.१ १६४-६५ बोलों की प्राप्ति धर्म भावना ८१२ ४३७३, शा भा२प्रफ १०,भावना ,शान ३८६ प्रक २, प्रव द्वा.६७ गा.५५३, तत्वार्थ मध्या ६ सू. धर्म रुचि ६६३ ३ ३६३ उत्तम २८ गा.२७ । धर्मरुचि-धर्मभावना ८१२ ४ ३८६ शाम १६ धर्म विषय पर अाठ गाथाएं६६४ ७ १५१ धर्माचार्य १०३ १ ७२ रा.स.७७ धर्माध्ययनकी३६ गाथा १८१ ७ ८७ राय म धर्मास्तिकायके पॉचप्रकार२७७ १ २५४ टा.४२ ३ ४४१ धातकारखण्ड में चन्द्रमोदि६ ४ ३०१ सूर्य, प्रा ५६ ज्योतिपी देवों की सख्या धातुन भावप्रमाण नाम ७१६ ३ ४०१ अनु. रस १३० धात्री दोप ८६६ ५ १६४ प्रव.द्वा ६७ र पि.३ ग्लोपिनि गा.४.८, पि.पि.गा ५८,पना १३गा.१८ धात्री (घाय)पाँच ४०८ १४३४ माना..२.7.3म.१.१७१, ग.ग. 13.17 २६ धान्य के चौबीस प्रकार 8:५६ २०५ द नि गा २०४-१? धाय (धात्री) पाँच ४.८ १४३५ याचा २५ 11, भन११३ १४.१ २०. १ २५६ 21 4 3 ४३५४ ६.१३ ११८ गो.,रा यो. धारणा व्यवहार ६६३ १३७६ ४२१,म. . .
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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