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________________ १८० श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण द्रव्य हिंसा में हिंसा का १८३ ७ १२१ भरा १ उ ३ ३७टी. लक्षण नहीं घटता फिर वह हिंसा क्यों कही गई? द्रव्यात्मा ५६३ ३ ६६ भग १२ 3 १० १४१५ द्रव्यानुपूर्वी ७१७ ३ ३६१ मनु प ७५ द्रव्यानपूर्वी के तीन भेद ११६ १८४ अनु म.६६-६८टी ३३ द्रव्यानयोग २११ १ १६० दग० निगा ३ पृ.३ द्रव्यानुयोग ५२६ २२६३ विशे गा १३८५.५:१२ द्रव्यानयोग ७१८ ३ ३६२ ठा. १० उ प ४२५ द्रव्यानयोग दस ७१८ ३ ३६१ टा.१०३ ३ १ ४२७ द्रव्यार्थिशनय १७ ११४ रत्ना परि । द्रव्यार्थिक नय के दम भेद ५६२ २ ४२० गत म०पा, आगर, द्रव्यार्थिक नय के मतान्तर५६२ २ ४१२ नय र, से तीन और चार भंद व्याय ७८५ ४२६६ १३.नि गा. द्रव्यावश्यक के विशेषण ८७२ ५ १७६ र १३.गे 11, व्यन्द्रिय २३ ११७ पर१17 16 टी l " द्रव्यन्द्रिय के दो भेद २४ ११७ तपार्थ या. द्रव्यों का परिणाम ४२४ २१५ मा द्रव्यों का पारम्परिकसंधष्ट२४ २ १४ अगा. द्रव्यों का स्व द्रव्य क्षेत्रकाल४२४ २ १२ मामग भाव की अपेक्षा वर्णन द्रव्यों की प्रक्रिया १२५ २१८ भागन
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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