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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, विषय बोल भाग पृष्ठ द्रव्य २१० १ १८६ ४१७ १ ४४१ द्रव्य अनन्तक द्रव्य ऊनोदरी २१ १ १६ द्रव्य और भावमनका क्या६८३ ७ १२२ स्वरूप है ? क्या वे एक दूसरे के बिना भी होते है? द्रव्य कर्म द्रव्यत्व गुण द्रव्य नय और भाव नय द्रव्य के दो भेद ५२७ २ २६३ द्रव्य के सात लक्षण द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव- इनमें६८३ ७ १२४ कौन किससे सूक्ष्म है? द्रव्य छह आठवाँ भाग ७६० ३ ४४१ ६० १ ४२ द्रव्य सम्यक्त्व द्रव्य निक्षेप द्रव्य पुद्गल परावर्तन सूक्ष्म ६१८ ३ और बादर का स्वरूप द्रव्य प्रतिक्रमण द्रव्य प्रत्युपेक्षणा द्रव्य लेश्या का स्वरूप तथा उसके सम्बन्ध में तीन मत ४२४ २३ ४२५ २ १६ ५६२ २ ४१६ २०६१ १८७ १३६ ४७६ २६२ ४५६ २६० ४७१ २ ७१ १०१८ عام प्रमाण न्यायप्र श्रध्या ७, रत्ना परि. ८ ठा ५ उ ३ सू ४६२ भश. २५ उ ७ सू८०२ पत्र प १५सू २००, भ श १३ उ १४७२टी, लोक स ३ श्लो० ५७० श्राचा अ २३ १नि गा १८३ तत्त्वार्थ, अध्या ५ सू ३,४ विशे गा २८ थावह निगा ३६-३७१३१ श्रागम, उत्त थ ३६ भागम द्रव्य त अध्या ११ श्लो २ न्यायन श्रध्या ५ अनु सू १५०, न्यायप्र अध्या. ६ कर्म मा ५ गा.८६-८८ घाव ह. अ ४ ठा ६उ ३ स ५०२ भ. श १३ २,उत्तम ३४, पत्र प १७३४ २२५टी, कर्म भा ४ गा. १३, आव ह अ ४ ६४४ द्रव्यलो स. ३ श्लो. २८४-३८२ प्रवद्वा १४६ मा ६४२ टी.
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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