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________________ १७२ प्रमाण विषय बोल भाग पृष्ठ देव० के विमानों का विस्तारयद ४ ३२७ जी. प्रति ३ स. २१३ देव० के विमानों का संस्थान ४ ३२७ जी. प्रति ३२१२ श्री मेठिया जैन मन्थमाला देवलोक के विमानों की ८०८४३२७ जी गति ३ २१०-२११ मोटाई और ऊँचाई देवलोक के विमानों के ८ ४३२७ जी प्रति ३ सू२१३ वर्ण, गन्ध और स्पर्श देवलोक वारह देवलोक चारह की स्थिति देव चारह के दस इन्द्र७४१ देवलोक चारह के विमान • देवलोक में अनुभाव देवलोक में अवधिज्ञान ८०८ ४३१८ पत्र. २,४,६, प्रति २०७-२२३, तवार्य अभ्या ४३२४ १११४६६ ३४२० टा १०३ सू.७६६ ४ ३२३ प.प. २३ देवलोक १२ स्थितिप्रादि८८४ ३३४ तत्वार्थ सध्या २० ७बातें उत्तरोत्तर अधिक हैं देवलोक में आहार देवलोक में उच्छ्वास देवलोक में उत्पन्न होने वाले जीव ८०८ ४३३६ ताभ्या ८०८४३३० जी प्रति १: L ここ ८०८४३३५ तता मया ८०८४३३५ तसर्थ मा. ८४८५११५ भग १३२२ २४ ८०८४३३६ तत्तार्थ मध्या ** देवलोक में उपपात देवलोक में उपपात विरह और उना विरह देवलोक में क्षुधा पिपासा ८०८४३३१.२११ देवलोक में गति आगति ८०८४३३२६.१६... देवलोक में चारचा उत्त०४३३५ तामा रोतर हीन होती है ४३३२ ५१६. १६६-२०० गा. १०१७ मे १०७ः
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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