SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ وام श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवाँ भाग rrm arrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr ~~~~~ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण देवता के मनुष्यलोक में १३६ १ १०२ ठा ४ उ ३ सू ३२३ आने के चार कारण देवता के मनुष्य लोक में ११० १ ७६ ठाउ ३सू.१७७ पाने के तीन कारण देवता कोनसी भाषा १८३ ७१२५ भ श ५उ ४सू 18 1,मम ३४, बोलते हैं? पन्न प १ सू३७ देवताचारकारणोंसे मनुष्य १३८ १ १०१ ठा ४ ३ ३ सू ३२३ लोक में नहीं आ सकता देवदत्ता रानी की कथा ११०६ ४७ वि अ देव पाँच ४२२१४४५ ठा ५सू ४० १ भ श १२ उ ६ देवलोक कहाँ स्थित हैं १८०८ ४ ३१८ पन्न प २सू ५१,जी प्रति उसू २०७ देवलोक की गतिश्रागति ८०८ ४ ३२८ जी प्रति ? सू २१४, पन्न प.६ ।। देवलोक की पर्षदाएं.पारि-८०८ ४ ३२५ जी प्रति ३ स २०६ पदों की संख्या और स्थिति देवलोकदेवोंकाउच्छास८०८ ४ ३२६ जी. प्रति.: सू २१५ देवलोक के देवों का वर्ण ८०८ ४ ३२६ जी प्रत ३ सू २१५ और स्पर्श देवलोक केदेवोंकासंस्थान८०८ ४ ३२६ जी प्रति ३ सू २ १४ देवलोककेदेवों का संहनन८०८ ४ ३२६ जी प्रति ३ सू २१४ देव के देवोंकीअवगाहना८०८४ ३२६ जी प्रति.३ सू २१३ देवलोकदेवोंकीवेशभूपा८०८ ४ ३३१ जी. प्रति. ३ सू २१८ देवलोक देवों के दसभेद८०८ ४ ३३३ तत्वार्य अध्या ४ स.४ देवलोकदेवों के मुकुटचिह्न८०८ ४ ३१६ पन प.२ सू ५१ देव के विमानोंकाआधारम०८४ ३२७ जी प्रति ३ सू २०६
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy