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________________ श्री गदियानन्यमाना विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण चोरीम जान्युत्तर ६३६६ २०६ पनी भया काग न्याय मायामा चौबीयनीय दूसरोवत क्षेत्र ३१ ६ १६७ सम. ५८, . हा ७ गा. के. आगामी उत्मामी के चौबीस नीर्थदर वनक्षेत्र २८ ६ १७६ ना १५६, प्रा हा . के वर्तमान अवसर्पिणी के गा २९६ चौबीम नीर्थङ्कर भरत क्षेत्र १३, ६ १६६ गम० ११८. प्रा० द्रा० के आगामी उत्पपिणी के गा० ३२६ चोवीसनीधदर भरत क्षेत्र १२७६ १७३ प्ररा गा. " की गन उन्मर्पिणी के चौबीमतीर्थकर भरत क्षेत्र:२६ ६ १७७ मा १४, माना के गर्नपान अवसर्पिणी के 4: 417 म मा ३१में ग.न.प्रा ." चावीमतीर्थनगंक सचा-१२६ ६ १७८ गम.१४७,५३, निग२०६ दस वालों का यंत्र तथा उन स:-मानना 11. सम्बन्धी अन्य तेईम बोल म.प्रा.मा... নানা ঘ १३४६ २०४८दीम चौवीम धान्य : १३३ ६ २०५ म. ; RE द: सग प्रत्याख्यान १८२२६ यानि 11 पालने क. प. 4 . लायरमभूमि नंबटीप की४३५ २४१ २८२१.. . १४.. . REPTER TO मी
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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