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________________ - - [१५] बोल नं० पृष्ठ । बोल नं० । पांच पद क्यों कहे? ८७ पैंतीस वाणी के ६५३ नमस्कार सूत्र में सिद्ध अतिशय से पहले अरिहन्त को E४ (३६) प्रमाद गाथा १० २३१ क्यों नमस्कार किया LE४ प्रवचन संग्रह तयालीस १५१ गया? ८८३ प्रश्नोत्तर छत्तीस ६८ ६६१ नामकर्म की बयालीस १००४ प्रायश्चित के पचास प्रकृतियां १४ भेद ६६४ (३) निर्ग्रन्थ प्रवचन ___ महिमा गाथा ३ १४५६ बत्तीस अस्वाध्याय २० ६६ वत्तीस सूत्र २१ ६८१ (६) परमावधि ज्ञानी ६६० बयालीस आहार दोष १४६ क्या चरम शरीरी १७३ बहुश्रुत पूजा अध्ययन होते हैं? १०३ (उ० अ० ११) की । LE४ (१४) परिग्रह का बत्तीस गाथाएं ५१ त्याग गाथा ११ १८१ | १००७ बावन अनाची EE: पुण्यप्रकृतियां बयालीस ५० साधु के ६८३ (३१) पुष्य नक्षत्र की ६६४ ब्रह्मचर्य की बत्तीस श्रेष्टना का वर्णन क्या उपमा जैन शास्त्रों में भी है ? १२६ | १४ (१३) ब्रह्मचर्य शील ६६४ (२०) पूजा प्रशंसा का गाथा १६ त्याग गाथा १० १६०ER ब्राह्मीलिपि के मातृका६८७ पृथ्वीकाय (खरबादर) क्षर छियालीस २६४ के चालीस भेद १४५ म ६८३ (२७) पृथ्वीकाय के १००३ मांगे उनचास श्रावक जीच क्या १८ पाप प्रत्याख्यान के २२७ का सेवन करते हैं१ १२२ ४ (१६) भ्रमरवृत्ति ६६७ पैंतालीस आगम २६० गाथा ४
SR No.010514
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2053
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size6 MB
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