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________________ श्री जैन सिद्धान्त वोल संग्रह, छठा भाग विदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। फिर संयम लेगा और सब कर्मों का क्षय कर मोक्ष जायगा। (७) उम्बरदत्त कुमार की कथा पाटलखएड नामक नगर में सिद्धार्थ राजा राज्य करता था। उस नगर में सागरदत्त नाम का एक सार्थवाह रहता था। उसकी स्त्री का नाम गङ्गादत्ता और पुत्र का नाम उम्बरदत्त था। ___एक समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी वहाँपधारे। गौतम स्वामी भिक्षा के लिए नगर में पूर्व के दरवाजे से पधारे। मार्ग में उन्होंने एक भिखारी को देखा, जिसका प्रत्येक अङ्ग कोढ़ से सड़ रहा था। पीप बह रही थी। छोटेछोटे कीड़ों से उसका सारा शरीर व्याप्त था । मक्खियों का समूह उसके चारों तरफ भिनभिना रहा था। मिट्टी का फूटा हुआ वर्वन हाथ में लेकर दीन शब्द उच्चारण करता हुअा भीख मांग रहा था। भगवान् के पास आकर गौतम स्वामी ने उस पुरुष के विषय में पूछा । भगवान् फरमाने लगे प्राचीन समय में विजयपुर नाम का नगर था । वहाँकनकस्थ राजा राज्य करता था । धन्वन्तरि नाम का एक राजवैद्य था। वह चिकित्सा शास्त्र में अति निपुण था। रोगियों को जब दवा देता तो पथ्यभोजन के लिए उन्हें कछुए, मुर्गे, खरगोश, हिरण, कबूतर, तीतर,मोर आदि का मांस खाने के लिए उपदेश देता था। इस प्रकार वह महान् पाप कर्मों का उपार्जन कर छठी नरक में उत्पन्न हुआ वहाँ से निकल कर सागरदत्त सार्थवाह की स्त्री गंगादत्ता की कुक्षि से पुत्ररूप में उत्पन्न हुआ। गंगादत्ता मृतवन्ध्या थी । उम्बरदत्त यक्ष की आराधना से यह पुत्र उत्पन्न हुआ था इसलिए इसका नाम उम्बरदत्त रक्खा गया। यौवन वय को प्राप्त होने पर उसके माता पिता की मृत्यु हो गई।उम्बरदत्त के शरीर में कोई
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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