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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग ४३ जाकर हस्तिनापुर में एक सेठ के घर पुत्रपने जन्म लेगा। संयम का पालन कर पहले देवलोक में उत्पन्न होगा। वहाँ से चव कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा 'दीक्षा लेकर सब काँका क्षय कर सिद्ध, बुद्ध यावत् मुक्त होगा। (६) नन्दी वर्धन कुमार की कथा मयुरा नगरी में श्रीदाम राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम बन्धुश्री और पुत्र का नाम नन्दीसेन था । राजा के प्रधान का नाम सुबन्धु था । वह राजनीति में बड़ा चतुर था । उसके त्रका का नाम वहुमित्र था । उसी नगर में चित्र नाम का नाई था जो राजा की हजामत करता था।वह राजा का इतना प्रीतिपात्र और विश्वासी हो गया था कि राजा ने उसे अन्तःपुर आदि सव जगहों में आने जाने की आज्ञा दे रखी थी। __ एक समय श्रमण भगवान महावीर स्वामी मयुरा नगरी के बाहर उद्यान में पधारे। नगर में भिक्षा के लिये फिरते हुए गौतम स्वामी ने उज्झित कुमार की तरह राजपुरुषों से घिरे हुए एक पुरुष को देखा। उसे एक पाटे पर विठा कर राजपुरुप पिघले हुए सीसे और ताम्बे आदि से उसे स्नान करा रहे थे। अत्यन्त गरम किया हुआलोहे का अठारह लड़ीहार गले में पहनारहे थे और गरम किया हुआ लोह का टोप सिर पर रख रहे थे। इस प्रकार राज्याभिषेक के समय की जाने वाली स्नान, मडन यावत् मुकुट धारण रूप क्रियाओं की नकल कर रहे थे।उसे प्रत्यक्ष नरक सरीखे दुःख का अनुभव करते देख कर गौतम स्वामी ने भगवान् से उसके पूर्व भव का वृत्तान्त पूछा । भगवान् फरमाने लगे सिंहपुर नगर में सिंहरथ राजा राज्य करता था। उसके दुर्योधन नाम का चोररक्षपाल (जलर) था। वह महा पापी था। पाप
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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