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________________ सुग्रीव श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग १८१ श्रीचन्द्रप्रभस्वामी श्रीसुविधिनाथस्वामी श्रीशीतलनाथस्वामी चैत वदी ५ . फाल्गुन वदी वैसाख वदी वैजयन्त आनतदेवलोक प्राणत देवलोक चन्द्रपुरी काकन्दी भद्रिलपुर पीप वदी १२ मिगसर वदी ५ माह घदी १२ लक्ष्मणा (लक्षणा) रामा महासेन हढ़रथ मकर श्रीवत्स १५० धनुप १०० धनुप . . १० धनुप. २॥ लाग्य पूर्व ५० हजार पूर्व २५ हजार पूर्व घालाख पृर्व २४ पृवांग ५० हजार पूर्व स पूर्वांग ५० हजार पूर्व पौष वदी १३ मिगसिर वढी ६.. माह वदी १२ पद्मखंड श्वेतपुर (श्रेयपुर) मोमदत्त पुण्य पुनर्वसु ३ माम ४ मास ३ मास फाल्गुन वदी ७ . कातीसुदी३ . पीप वदी १४ १३ दिन्न' . वराह आनन्द (प्रभुनन्द) । २ लाख २ लाख १ लाख ३ लाख ८० हजार १ लाख २० हजार १ लाख ६ सुमना - वारुणी । सुलसा (सुयशा) २ लाग्ब ५० हजार २ लाख २६ हजार २ लाखमंह हजार ४ लाख ६१ हजार ४ लाख ७१ हजार ४ लाख ५८ हजार पूर्वांगं कम लाख पूर्व २८पूर्वांग कम लाखपूर्व २५ हजार पूर्व भादवा वदी ७ भादवा सुदी पैसाख वदी २ १००० १००० १० लाख पूर्व , २ लाख पूर्व - ५ लाख पूर्व १०० कोटि सागर १० कोटि सागर ६ कोटि सागर रिपूर दत्तप्रभव (प्रवचनसारोद्धार)
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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