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________________ श्रीन सिदारत बोल संग्रह, पाचवां भाग ३६१ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm सोती हुई छोड़ गया और फिस किस तरह से उसे भयंकर जंगली जानवरों का सामना करना पड़ा, भादि वृत्तान्त सुन फर राजा और रानी का हृदय कांप उठा । उन्होंने दमयन्ती को सान्त्वना दी और कहा- पुत्रि! तू अप यहाँ शान्ति से रह । नल राजा फा शीघ्र पता लगाने के लिए प्रयत्न किया जायगा। दमयन्ती शान्तिपूर्वक वहाँरहने लगी। राजा नल की खोज के लिये राजा भीम ने चारों दिशाओं में अपने आदमियों को भेजा। एफ समय सुंमुमार नगर का एक व्यापारी कुंरिनपुर भाया। बातचीत के सिलसिले में उसने राजासे बतलाया कि नल राजा का एक रसोइया हमारे नगर के राजा दधिपर्ण के यहाँ रहता है। बह सूर्यपाफ रसवती बनाना जानता है। पास में बैठी हुई दमयन्ती ने भी यह बात सुनी। उसे कुछ विश्वास हुमा किवा राजा नल ही होना चाहिये। व्यापारी ने फिर कहा वह रसोइया शरीर से कुबड़ा है किन्तु बहुत गुणवान् है । पागल हुए हाथी को वश में करने की विद्याभी वह जानता है। यह सुन कर दमयन्ती को पूर्ण विश्वास होगया कि वह राजा नल ही है किन्तु विद्या के बल से अपने रूप को उसने बदल रक्खा है, ऐसा मालूम पड़ता है। दमयन्ती के कहने पर राजा भीम को भी विश्वास होगया किन्तु वे एफ परीक्षा और करना चाहते थे। उन्होंने कहा राजा नल अवविधा में विशेष निपुण हैं। यह परीक्षा और फरलेनी चाहिये। इससे पूरा निश्चय हो जायगा । फिर सन्देह का कोई कारण नहीं रहेगा। इसलिये मैंने एक उपाय सोचा है- यहॉ से एक दत मुंशुमारनगर राजादधिपर्ण के पास भेजा जाय। उसके साथ दमयन्ती के स्वयंवर की आमन्त्रणपत्रिका भेजी जाय। दत को स्वयंवर की निश्चिततिथि के एक दिन पहले वहाँ पहुँचना चाहिए। यदि वह कुबड़ा गजानन होगा तब तो अश्वविद्याद्वारा वह राजा दधिपणे
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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