SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वोल नं० ३१ ८३६ माया के चौदह नाम ८८० माया के सतरह नाम ३८५ ८४३ मार्गणास्थान चौदह ५५ ८४७ मिथ्यादृष्टिगुणस्थान ७२ ८४७ मिश्रगुणस्थान ७३ ८७५ मृगावती ९०० मेघकुमार की कथा ८७० मेरु पर्वत के सोलह (30) पृष्ठ बोल नं० ३०३ ४२९ ल ८८९ लिपियाँ अठारह ८४५ लोक का आकार ८४५ लोक का नक्शा नाम ८५० मोक्ष के पन्द्रह अग ८८६ मोक्षगामी जीव को प्राप्त सतरह बातें ३९५ ८५५ योग पन्द्रह १३८ ८४७ योगो के निरोध का क्रम ८६ १७१ १२१ ८४५ लोक का नक्शा बनाने की विधि ४०१ ५३ ५३ ८४५ लोकका संस्थान ८४५ लोक के भेद ८४५ लोक मे खएडरज्जु ८४५ लोक में चौदह राजू ८३७ लोभ के चौदह नाम र ८२८ रत्न चौदह चक्रवर्ती के २० ७९ २४९ ८४७ रसघात ८७५ राजीमती ८४५ राजू चौदह लोक मे ४५ ९०० रोहिणी आदि चार पुत्र वधुओ की कथा ४४२ ९०० रोहिणी ज्ञात अ० सातवाँ ४४२ / ८९२ शील के अठारह भेद पृष्ठ ४८ ४७ ४६ ५१ ४५ ३२ व ८६९ वचन के सोलह भेद १७० १२७ ८७५ वसुमती (चन्दनबाला) १९७ ८५३ विनय समाधि अध्ययन को पन्द्रह गाथाए ८७७ विनय समाधि अध्ययन की सतरह गाथाएं ३७७ ८८२ विदायो गति के सतरह भेद ३८९ ८५२ विनीत के पन्द्रह लक्षण १२५ ८४७ वैदिक दर्शन मे श्रध्या त्मिक विकास ६३ श ८८१ शरीर के सतरह द्वार ३८५ ८७५ शिवा ३४६ ४१० ८३८ शुभ नामकर्म भोगने के ३३ प्रकार ९०० शैलक ज्ञात श्र० पांचवां ४३८ ९०० शैलक राजर्षि की कथा ४३८
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy